सोमवार, 23 नवंबर 2009

अजब प्रेम की गजब कहानी




मेरे पडोस मे एक बुजुर्ग है अच्छी नौकरी से रिटायर हुए है मकान जमीन सम्पत्ति सभी कुछ है सरकार पूर्वजन्मो के अपने पापो का प्रायश्चित करने हेतु इन्हे पेन्शन दे कर अपने पाप धुल रही है रिटायर होने के बाद कुछ समय वे आज के दौर मे नैतिकता व इमानदारी की ऐसी चर्चा करते थे जैसे इन्होने अपने आफ़िस मे इन्ही सब वस्तुओ की खेती शुरू की थी और कोई इनकी फ़सल पर आँख लगाये हुए बैठा हुआ है तथा इन सब वस्तुओ का कापी्राईट इन्ही के पास है
इन दिनो इन्हे शौक चर्राया है मुहल्ले की बहू बेटियो के चरित्रों पर एफ़ बी आइ की तरह नजर गडा कर रखना | पवित्रता का मन्त्र पढ कर ये अपने को पूरे दिन के लिये शुध्द मान लेते है ये हमेशा दूसरे की अपवित्रता के मोश्चराईजर से अपना मुँह चमकाते रहते है धवल चेहरे के साथ पान घुलाते हुए ये जब भी मुंह उठा कर बोलते है तो लगता है कि चाँद पर ही थूक देंगे जब भी मिलेगे तो मुह्ल्ले की लडकियो के भागने की पूर्व कथाये स्त्रियो के विवाह पूर्व गर्भपात की चर्चा वर्तमान पतिव्रताओ के प्रणय प्रसंगों की चर्चा मुझसे जरूर करते है मै पहले बुजुर्ग होने के नाते उनका लिहाज करता था लेकिन अब वे अझेल व अप्रासन्गिक हो गये है वे प्रायः अपने दिनों को याद करते है कि पहले का जमाना कितना अच्छा था कितनी अच्छाइयाँ समाज मे थी मानो अच्छाइयाँ सड्क किनारे खोमचे पर बिकती रह्ती थी और लोग अनजाने मे उसे मांग मांग कर चखा करते थे जिससे उन्के खून जिगर मे अच्छाइयों के किटाणु पाये जाते थे लेकिन मै जानता हू कि जितना बुरा जमाना आयेगा उतना ही ये अपने को स्वस्थचित्त व सुखी मह्सूस करेगे तब इन्हे उसी प्रकार गर्व होगा जैसे जार्ज पन्चम के सिक्को को आज कल के सिक्को के आगे मह्सूस होता है कि देखो इतनी मुद्राओ व गाधी की फ़ोटो लगे नोटों के आगे भी लक्ष्मी के रूप मे मेरी ही पूजा होती है इसी प्रकार पतनोन्मुख समाज मे वे पुराने चावल की भान्ति सुवासित होने क ढोंग रचते है कि किस प्रकार से हमने अपनी अक्षत अच्छाइयों को बचा रखी है
वे आज कल इन्टरनेट के माध्यम से होने वाली शादियो रीति नीति विश्वास परम्परा के विरूद्ध व्यथित है मैने एक दिन उनसे कहा कि जब एक युवा व युवती 18 वर्ष की होने पर सरकार चुन सकते है तो मन्गेतर चुनने मे कौन सी आपत्तिजनक है आप इस बात पर क्यों दुःखी होते है तब से वे मुझसे ही दुःखित हो गये है
जब मैने तफ़्सील मे जाकर पता लगाया तो पता ये चला कि उनकी लड्की ने बहुत पहले एक विजातिय लड्के से प्रेम किया था बात जब शादी तक पहुँचती तब उन्होने जबर्दस्ती एक ऐसे लड्के से उसकी शादी करा दी जिसका कुल गोत्र तो उंचा था कमाई कम थी पत्नी को प्यार भले ही कम करता था लेकिन दहेज को लेकर पीटता अधिक था जहिर है पुत्री अक्सर इस शादी को लेकर ताने सुनाती थी लेकिन वो इस पर कोई बयान नही देते थे देते भी तो क्या देते उन्हे तो यह आत्मिक सन्तोष था कि चलो उंचे कुल गोत्र खानदानी लोगो से ही तो पिट रही है कोई विजातीय अधर्मी से तो नही कम से कम अगला जन्म तो सुधर जायेगा
मै यही सोच रहा हू कि क्या प्रेम करने से पहले युवकों व युवतियों को एक दूसरे का कुल गोत्र जाति विस्वा पूछ कर प्रेम की शुरूवात करनी चाहिये वैसे मै अपना अनुभव बताऊ कि इन सब चक्करो के कारण ही मै प्रेम की शुरूवात ही नही कर सका जिस कुल गोत्र से बान्धा गया उसी से मन्त्रविद्ध हू लेकिन एक शायर का शेर इनदिनो पढा पता नही पहले क्यो नही पढ्ने को मिला तो अब यह खयाल आता है कि आदर्शवाद मे काफ़ी कुछ खोना पड्ता है शेर कुछ यू है
सरफ़रोशी की तमन्ना है तो सर पैदा कर,
जमाने से लडना है तो जिगर पैदा कर |
कौन सी शय है जहाँ जज्बा माशूक नही ,
शौके दीदार अगर है तो नजर पैदा कर |

तो मेरी सलाह ये है कि इन बुजुर्गो की बात पर ध्यान ना दे कर प्रेम आदि के मामले खुद ही निपटा लेना चाहिये ये बुजुर्ग तो प्रेम के नाम पर प्रेम चोपड़ा को ही जानते है जिन्दगी भर हनुमान चालीसा पढने का ढोंग करते हुए इन्होने बिना प्रेम किए ही परिवार में लाल तिकोन को ही वृत्त व अष्टभुजाकार ज्यामिति में बदल डाला तथा पूछने पर उसे हनुमान जी का आशीर्वाद व प्रसाद मान लिया


सोमवार, 9 नवंबर 2009

कौन कहता है गांधीवाद सामयिक नही है



कौन कहता है कि देश गांधी के दिखाए रास्तो से भटक गया हैजिधर देखो उधर ही महात्मा गाँधी मार्ग है और तो और ओबामा साहिब ने भी गांधी को आदर्श मान लिया ये अमेरिकी भी बड़े कौतुकी होते है वैसे ओबामा साहिब ने गांधी वाद को २००९ मेंआदर्श माना है जिसमे थोडा सा बदलाव आया है 1947 व 2009 के गांधी जी के बंदरो में भी जाहिर है प्रगति आई है ओबामा का इशारा प्रगतिशील भारत 2009 के बंदरो से था

राज तुम आगे बढो सब मराठी साथ है



आज़ पूरे विश्व मे बर्लिन की दीार को गिराने की 20 वी वर्ष गाठ मनाईं जा रही है वहीँ यह खबर भी आयी कि महाराष्ट्र विधानसभा मे अबू आजमी को हिन्दी मे शपथ लेने के कारण म न से के विधायक गणो ने हन्गामा किया तथा उन्हे हिंदी मे शपथ लेने पर टोकाटाकी हाथापाई की वैसे अबू आजमी ने भी उन्हे चप्पलें दिखाईं

वैसे मै इन सब नाट्क बाजियो पर प्रतिक्रिया व्यक्त करना समय की बर्बादी मानता हूँ जैसे वन्दे मातरम विवाद हम मे से अधिकाँश को वन्दे मातरम तो दूर सही तरी्के से जन गण मन भी गाने नही आता वे ऐसे लोगो से जिन्हे सद्दाम के कुवैत आक्रमण पर जश्न मनाते तथा सद्दाम की मौत पर शोक मनाते देखा है लेकिन तालिबानो के आक्र्मण पर कभी छाती पीट्ते नही देखा उनसे वन्दे मातरम गवा कर हम क्या हासिल करना चाहते है ? पता नही महाराष्ट्र का यह नाटक हिन्दी विरोध का था या अबू आज्मी का विरोध / सम्भव है वन्दे मातरम को ना गवाने की झुंझलाहट मे अबू आजमी को लपेट लिया गया हो वैसे इस पार्टी ने अपने नाम मे निर्माण व सेना जैसे हिन्दी शब्दों का प्रयोग क्योन कर रखा है यदि मराठी भाषा मे कोई अन्य शब्द हो तो उसका प्रयोग करना चाहिये क्योंकि इन शब्दबोधन से पार्टी ही दोगली लगने लगती है उसी प्रकार से विधायक राम कदम को भी अपना व अपने पूर्वजों का नाम शुद्धिकरण कर मराठी भाषा मे परिवर्तित कर लेनी चाहिये उत्तर भारतीय हिन्दी नामो के परित्याग से ही तन मन व सभी तंत्रिकाएं शुद्धरूप हो सकेगी वैसे भी हमे यह तो मानना ही पडेगा कि एक राष्ट्र के भीतर एक महाराष्ट्र है तो जहिर है कुछ विसंगतियों को तो देखना हमारी नियति ही है वैसे भी मुझे लगता है कि कुछ दिनो के बाद हम सम्विधान की कसम खाने पर भी विवाद देखेंगे तथा एक याचिका के फ़ैसले के बाद विधायको को यह छूट मिल जायेगी कि वह अपनी मनःसृष्ट भाषा मे किसी कहानी जैसे अलीबाबा और … या बाबा भंजक नाथ के नाम पर शपथ ले सकते है बर्लिन की दीवार भले टूट ज़ाये परंतु बोलीवुड की यह दीवार काफ़ी लम्बे समय तक महाराष्ट्र मे हाउस फ़ुल शो दिखाने वाली है जै महाराष्ट्र

हिंदुस्तान की सरजमीं पर हिंदी बोलने पर पीटने की घटना का जिक्र तो आज तक जम्मू-कश्मीर में भी सामने नहीं आया है।

जहाँ ३७० के कारण इतनी छूट मिलीहै महाराष्ट्र के विधायको ने अहिन्दीभाषी राज्यों के लिए पृथक आचारसंहिता का ही निर्माण कर डाला है

राज ठाकरे आगे बढ़ो, सब मराठी साथ है !
तुमच्य सर्व आमादारंचे अभिनंदन!!!!

नोट ऊपर के चित्र के रचनाकारों के आद्याक्षर कार्टूनों में अंकित है ऐसे चित्र उन्ही की संपत्ति है साभार प्रकाशित करना विवशता में हुआ है इनके चित्र को इनका महिमामंडन माना जाए