गुरुवार, 28 जनवरी 2010

संत महात्मा बनने का घोषणा पत्र



सन्त बनने की बात मैने अपने पुराने लेख मे कही थी यह व्यवसाय लाभप्रद भी है, इसमे भारत की जनसंख्या को देखते हुए संतो की बडी डिमाण्ड है यदि 10 लाख के औसत पीछे एक संत हो जाय तो भी डिंमान्ड व सप्लाई का गैप बना रहेगा समाज के जिम्मेदार नागरिक होने के कारण मेरा फ़र्ज बनता है कि इस सन्तस्फ़िति को कम करने का उपाय ढूढा जाय इधर कोई महान अवतार भी नही पैदा हुआ है जिसे उल्लेख्ननीय कहा जाय जो देश के लिये दुर्भाग्यपूर्ण है

गत दशकों मे कई भगवान परमेश्वर परमात्मा इस धरती पर पैदा हुए जिससे पाप पुण्य का लेखा धनात्मक बना रहा इन सन्तो का भी नश्वर लेखा जोखा भी धनागम से धनात्मक मे बना रहा वैसे इसमे बुराई भी कुछ नही है लोक कल्याण की भावना से यदि बाबा जी ने कई आश्रम बना लिये तो क्या हुआ बाबा जी रहते तो सादगी से एक साधारण धोती ही तो पहनते है एक 50 रूपये की खन्डाऊ जो पाँच वर्ष आसानी से चलती है आश्रम तो समाज का है

इन महापुरूषो के होने से समाज का बडा फ़ायदा है आम जन , अज्ञानी लोग पागलो के पीछे ऐसे भाग रही है जैसे शहर मे प्लेग फ़ैला हुआ हो |बाबा जी जो बोल दिये सो पत्थर की लकीर| यदि बाबा जी ने पागलपन मे कुछ हरकत कर दी तो लोग कहेंगे कि कितना पहुँचा हुआ फ़कीर है| बाबा जी आउटसोर्सिंग के स्रोत होते है चलता फ़िरता फ़ि्क्स डिपाजिट होते है कितने लोगो के परोक्ष अपरोक्ष रोजगार सर्जक होते है देश की जी एन पी बढाने मे इनके योगदान को धर्मनिरपेक्ष सरकारों ने कभी महत्वपूर्ण नही माना सो जब सरकारे सन्कट मे आती है तो ये भी निरपेक्षिक हो जाते है

महापुरूष समाज के पथ प्रदर्शक है यदि आज दन्गे फ़साद कम होते है तो इसका श्रेय सन्तो को ही है यदि यह बोले कि कोई भी धर्म हमे हिन्सा नही सिखाता तो लोग मान जाते है मौलवी लोग भी इसी प्रकार की तकरीरे देते है लेकिन ये आतन्कवादी पता नही किस एडिशन की धार्मिक किताब पढ्ते है यदि ये प्रकाशक व मुद्रक का पता भी दह्शतगर्दो को बता दे तो सभी प्रकार की मार काट तुरन्त बन्द हो जाय लेकिन मुझे शिकायत इन सन्तो से है कि ये धार्मिक पुस्तकों के मुद्रक का नाम नही बताते यदि मै सन्त हो गया तो यह जरूर बताउगा कि पुस्तक मिलने का पता कचौडी गली वाराणसी ही है

यदि मै सन्त हो गया तो महंगाई बढने की धार्मिक विवेचना शास्त्रोक्त विधि से कर सरकार की चिन्ता दूर करूँगा मै लोगो को बताऊँगा कि महँगाई इस लिये बढ रही है कि मेरे भक्तो के धार्मिक हो जाने के कारण अधर्मता नही बढ रही है इसलिये प्रभु अवतार लेने के लिये जमाखोरो को माया के वशीभूत करके उन्हे पापिष्ट बना रहे है ताकि अराजकता फ़ैले व लोग धर्मविमुख हो जाये लेकिन सच्चा गुरू होने के कारण इन सब बातो से घबराने की आवश्यकता नही है त्याग करने की बात हमारे धार्मिकता मे है ये महँगाई ससुरी क्या कर लेगी वैसे भी इसकी संज्ञा सुरसा से दी जाती है तो क्या हम राम भक्त हनुमान भक्त इस आसुरी शक्ति के आगे घुटने टेक देंगे लोग बोलेगे कदापि नही

शरद पवार भी कहेगे कदापि नही सभी धर्मभीरू लोगो का समर्थन सरकार को मिलेगा ।

वैसे सन्तो की सारी बात मानने मे कुछ कठिनाइयाँ भी है जैसे मैने सन्त बन कर औरो को यह उपदेश दे दिया कि भक्तो सदा सत्य बोलो और प्रेम करो अब जरा आप जैसे विचारशील ब्लागर लोगो ने उसको अपना लिया तो मुसीबत होगी ना इस लिये थोडा स झूठ बोलना पडेगा विचार करे क्या सच सच बोल कर किसी से प्यार हो सकता है नही ना अरे प्रेम करने के लिये कुछ कुछ तो झूठ बोलना ही पडेगा आप हिम्मत वाले है तो जिस पत्नी से प्रेम करने का दावा करते है उससे से यह सच बोल कर दिखादे कि ब्यूटी पार्लर मे मेकअप करा कर तुम अपने सौन्दर्य व मेरे धन दोनो का कबाडा ख़ाड़ आई हो तो क्या इस सच पर आपकी पत्नी आपको अपना प्रेमी मानेगी

मित्रो मै तो इन ब्यूटी पार्लर की मालकिनो को भी देख कर यह बात नही कह सका कि हे शूपर्णाख़ाओ मै राम नही हू सो किस जन्म का बदला मेरी अर्धांश से इसे कुरूप बना कर ले रही हो वैसे मुझे इन ब्यूटी पार्लरो की स्वामिनियो की तलाश रहती है जो ब्यूटीफ़ुल हो लेकिन हा हत मुझे आज तक ऐसी कोई नही मिली वरना मै स्वंय ऐसे महिला को भाभीवत बना चुका होता

बहरहाल ये ट्रेंड सीक्रेट है जब लोग असमन्जस मे रहेंगें तभी तो मेरे आश्रम मे भीड़भाड़ होगी क्योकि जितने ग्लानि मे डूबे लोग रहेगे उतना ही मुझे उन्हे कोसने मे आनन्द आयेगा एक बार सन्त हो जाये तो रोब दाब से जीवन चलेगा मै एक तथाकथित सन्त मर्मज्ञ का प्रवचन सुन रहा था तो वे राम की कथा सुनाते हुए इन्ही लोगो ने ले लीना दुपट्टा मेरा गुनगुनाने लगे भक्त झूमने लगे एक बार लगा कि लाइन गड्बडा गई लेकिन सन्त तो सन्त थे तो उन्होने इन पन्क्तियो के भाव को इस तरह समझाया आत्मा व जीव को पन्च मकार लोभ मोह रूपी तत्वो ने भक्तिसूचक दुपट्टा को छीन रहे है लेकिन जिस भक्त को हनु्मान जी का आशीर्वाद मिला हो व इस सन्सार रूपी बाजार मे भक्ति रूपी दुपट्टा को अक्षुण्ण रख लेगा सो फ़िल्मी गानो की भी आत्मा ब्रह्म जीव सनकादिक जन्म मरण कर्म सुकर्म अकर्म आदि गूढार्थ तथ्यो से व्याख्यायित किया जा सकता है

साधो सन्तो की गति न्यारी कौनसा आदमी इस देश मे किधर सेआकर सन्त हो जाये पता नहीचलता सो देखिये इस जगत परक्या कहूँ कहते कहते मै भी कबसन्त हो जाऊगा पता नही अभीतो मुझे पन्च्प्यारे यानी फ़ालोवर्सकी तलाश है जो मेरा महिमामन्ड्नकर मेरा शोरूम खोल दे और मै मूहूर्त करा डालू वैसे अमर सिह जी खाली है सोचता हू उन्ही को बुला लू ग्रैंड ओपनिंग शो हो जायेगा क्या खयाल है आपका ?

सोमवार, 11 जनवरी 2010

कलेक्टर के सीने पर पत्थर और निर्देश का पालन

सुबह से ही आफ़िस का माहौल उखडा हुआ था राजधानी से आदेश आया था कि सभी सरकारी दफ़्तरो मे नीले रंग के पर्दे लगने चाहिये मुख्य सचिव ने जिलाधिकारियो को निर्देशित करते हुए कहा था कि नीला रंग आकाश का है जिसके नीली चादर के नीचे सभी धर्मानुयाई हिन्दू मुस्लिम पिछ्डे कुचले अगडे बिगडे सभी समान तरीके से दैनिक नित्य क्रियाये कर रहे है
इस समानता का भाव आफ़िसो मे भी प्रतीकात्मक तरीके से दर्शाने हेतु अमुक नेता की पुण्य तिथि पर सभीआफ़िसो मे नीले पर्दे लगा कर सूचित करे यदि किसी विभाग मे बजट की समस्या हो तो वह वित्त विभाग को अपनीमांग बता कर बजट ले सकता है जिलाधिकारी प्रत्येक विभाग की जरूरतो के अनुसार आकस्मिक निधि ( दैवीआपदा फ़न्ड ) से धन आहरित कर सकते है
पर्दे सप्लाई करने के लिये राजधानी की कुछ फ़र्मो के नाम सुझाये गये थे जो एप्रूव्ड रेट पर सप्लाई कर सकते थेवैसे जिलाधिकारियो को यह भी सलाह दी गइ थी कि वे चाहे तो स्थानीय बाजार से भी इन्ही दर पर सप्लाई लेसकते है पेमेन्ट के पूर्व फ़र्मो को मुख्यालय से स्वीकृति लेनी होगी
जिलाधीश युवा थे उनका मन बार बार भडासी हो रहा था नीतिया पारदर्शी होनी चाहिये और जनता से पर्दा भी होनाचाहिये खाक हो मुए नेता जी कि पता नही क्यो इनकी म्रृत्यु तिथि पुण्य तिथि मे कैसे बदल जाती है जिन्दगी भरपाप किये और मरे तो पुण्य तिथि मे कन्वर्ट कर दिये यदि इनकी म्रृत्यु तिथि पुण्यपरक थी तो जन्म तिथि तो जरूरपाप तिथि मे गिनी जानी चाहिये
तभी फ़ैक्स की शू शू और उसके बाद हाई कमान की कड्कती आवाज ने जिलाधीश को इतना विक्षिप्त सा कर दियाकि उन्होने अर्दली को बुला कर कहा जाओ एक बडा सा पत्थर ले आओ
हुजूर पत्थरअर्दली ने फ़र्शी सलाम ठोंकते हुए पूछा
क्यो सुनाई नही दिया क्या बेवकूफ़”?
जी हुजूर अभी लाया भागते हुए स्टेनो बाबू से कहा हाकिम बडा सा पत्थर माँग रहे है स्टेनो ने पहले तो दिमागलगाया फ़िर जब कुछ नही समझ मे आया तो कागज खोजने के बहाने पता लगाया कि साहब कौन सी फ़ाइल देखरहे थे मामला वही पर्दे की आपूर्ति का था | स्टेनो ने अपनी लियाकत का फ़ायदा उठाते हुए फ़ौरन सप्लायर को फ़ोनलगाया साहब से जल्द आकर मिल लो वर्ना देख़ते रह जाओगे मामला बिगड़ रहा है
सेठ मुकुन्दी लाल जिन्हे सप्लाई का ठेका मिला था वे डी एम वित्त को साथ लेते हुए बन्गले पर पहुँचने ही वालाथा कि कलेक्टर साहब कोर्ट चले गये वैसे कोर्ट मे बैठ्ना इन्हे रास नही आता था क्योकि यहाँ तो वही होता जोवकील चाहते थे
डी एम साहब ने जासूसी पूछ ताछ करनी शुरू कर दी यदि साहब को पत्थर चाहिये तो कितना बडा चाहियेंसरकारी चाहिये कि गैर सरकारी कितनी मात्रा मे चाहिये आदि आदि
प्रश्न मन मे गून्ज रहे थे जिलाधीशो को पत्थर देनेयोग्य कोई शासनपत्र तो जारी नही हुआ है यदि साहब ने पूछ हीलिया कि केवट राम आप बताओ शासनादेश क्या कहता है तो वे तो निरुत्तर हो जायेंगे आज तक डीएम साहिब नेकभी के राम कह कर नही पुकारा था पूरा नाम या तो उनके बाबू जी लेते थे या फ़िर डी एम साहब
कोई भी मसला होता था तो वे ही बुलाये जाते और डीएम साहब के द्वारा कोई व्यवस्था दी जाती तो वे तपाक सेबोलतेसर आप जो कह रहे है उसके लिये तो 1959 ,60 या (कोई भी वर्ष जो डीएम के जन्मवर्ष से पहले का होताउसी का ) से ही गवर्नर्मेन्ट के स्टैन्डिन्ग आर्डर है बात बन जाती डीएम साहब का आत्मविश्वास बढ जाता
लेकिन ये पत्थर का क्या चक्कर है ?
फ़िर उन्होने सिर खुजाते हुए अर्दली से पूछा कि जब साहब पत्थर मँगवाए थे तो उनकी मुखमुद्रा कैसी थी वे क्याकर रहे थे ?
अर्दली बोलाहुजूर उन्गलिया चट्का रहे थे उसे खुजा रहे थे
अरे मिल गया क्लू ऐसी खुशी तो आर्कमीडीज को भी नही हुई थी यूरेका बुदबुदाते हुए वे सप्लायर से बोले ये सबक्या खा कर समझेंगे साहब लोगो की भाषारत्नो को साहब लोग पत्थर बोलते है
आप फ़ौरन खुनखुन जी जौहरी को बुलवा लीजिये साहब को कोई कीमती रत्नजटित अंग़ूठी चाहिये गिफ़्ट करदीजीये
अभी बुलवा लेते है
डीएम साहब की गाडी आते ही के राम डी एम साहब से मिलने चले गये
सर आपने पत्थर मँगवाया था मैने कह दिया है अभी खुनखुन जी आता होगा हुजूर को कौन सा पथ्थर चाहियेहीरा या पन्ना वैसे आपसे पहले वाले साहब को हीरा बडा ही सूट किया लगातार फ़ील्ड मे ही पोस्टिंग रही है
अरे केवट राम मैने तो सर्कुलर के खिलाफ़ कहा था कि लाओ बडा सा पत्थर सीने पर रख लिया जाय फ़िर ये पर्देवाला आर्डर को ना कह दिया जाय कि ये आदेश फ़िज़ूलखर्ची है फ़िर जो होगा देखा जायेगा पत्थरयुक्त सीने से सहलिया जायेगा लेकिन इतना अपव्यय मै नही देख सकता

अरे साहब ऐसा कैसे सोच लिया डी एम साहब बोलेसरकार हम लोग तो पर्दे टांगने दरी बिछाने का ढोल बजानेमुनादी करने की ही तो तनख्वाह लेते है सरकारी पर्दे बहरे होते है गोपनीयताओं का खुलासा कभी नही करेंगे दीवालेदोगली होती है पर्दे नही पर्दो के कान नही होते और सर नीला रंग तो गहराई का द्योतक है
सर एक बात मान ले जौहरी को बुला लिया है तो कोई कीमती पत्थर ले लीजिये पता नही सरकार के ग्रह दशा दिशा बदल ले
ठीक कह रहे हो डी एम साहबडी एम् साहिब ने कुछ देर सोचा इतनी संवेदना भी ठीक नही
पैसा सरकारी ,
आदेश सरकारी
तब क्या हमारी तुम्हारी ,
हम तो रहेगे अधिकारी
सर पर्दो के आर्डर का क्या होगामिमियाते हुए डी एम ने कहा
आज ही आदेश कर दिया जाये एक समीक्षा बैठक रविवार को बुला कर सभी को टाईट करे साहब ने मुस्कुराते हुएआदेश किया
बैठके हुई पर्दे आये दरवाजे फ़ीटो मे मापे गये सप्लाई मीटरों मे हुई वैसे भी यही होना
था सरकारी पर्दे इतनी लम्बाई चौड़ाई मे लगे कि जैसे आफ़िसो मे आम आदमी को नही हाथियों को गुजरना हो हाथी गुजरने भी लगे चहु दिशा नीलवर्ण नीलमणि की तरह कान्तिमान हो गई मुख्यसचिव से लोग कहते “व्हाट एन आइडिया सर जी “

खैर हाथी चलता जाये कुत्ते भूकते रहे ये तो पुरानी राजधर्म नीति भी कहती है कलेक्टरसाहब को पत्थर बडा सूट किया अब तो वह कोई बडा आर्डर देने के पहले पत्थरो की ही मांग करते है उन्हे नुस्खा जो मिल गया है

रविवार, 10 जनवरी 2010

उन्नतशील अधिकारी बनाने का आसान नुस्खा

जब अधिकारी के रूप मे तैनाती हुई तब ऐसा ना सोचा था कि इतने पापड बेलने होगे
आज बीस साल के बाद ये राज खोल रहा हू ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ यह ना कह सके कि उनके पूर्वजो ने कोई अधिकारी शरीर संहिता नही बनाइ वैसे तो बाजार मे बडी आचार संहिताये मिल जाएगी लेकिन अधिकारी को सिस्ट्म मे कैसे अपने उच्च अधिकारी को प्रसन्नचित्त रखते हुए सफ़लता की सीढिया चढनी चाहिये ? यह ना तो किसी ट्रेनिंग मे सिखाया जाता है और ना ही गुणी ज़न ही इसे बताते है मैने यह गुप्त ज्ञान बडे यत्न से गुह्यातिगुह्य कर रखा था जिसका खुलासा परोपकरार्थ प्रकाशित कर रहा हूं वैसे हमारे देश की परम्परा मे जब तक योग़्य शिष्य ना मिले तब तक ज्ञान बाँटने की मनाही रही है लेकिन पता नही कोई गुरूघन्टाल शिष्य मिले ना मिले सो आज ब्लाग के माध्यम से एक राज की बात का खुलासा कर रहा हू वैसे इसी ब्लाग के माध्यम से सफ़ल अधिकारी होने के शार्ट कट सुझाव आपको देने का
प्रयास किया जायेगा
एक सफ़ल अधिकारी बनने के लिये उसका पूंछदार होना जरूरी है मूंछ ना हो कोई बात नही लेकिन पूंछ बिना अधिकारी ऐसा लगता है जैसे कच्ची उम्र की विधवा जिसे सभी सहानुभूति की नजर से देखते है लेकिन मदद करना कोई नही चाहता शोषण करने के लिए सभी बैठे रहते है ऐसी ही हालत एक नये रंगरूट पूंछ बिहीन अधिकारी की होती है शुरू शुरू मे बडी उल्झन होती है पूंछ विहीन हो कर अधिकारियो के सामने जाने मे क्योंकि उच्च अधिकारी शन्का की नजरो से देखते थे एक दिन मैने अपने वरिष्ठ सहकर्मी से बास के नाराजगी का कारण की जानकारी पूछी तो उन्होने बेफ़िक्री से कहा दुम उगा लो सब समस्या हल हो जाएगी चुटकियों मे
मैने कहा व्हाट एन आईडिया सर जी लेकिन पहले अपनी पूंछ तो दिखाइये उन्होने जो अपनी पूंछ दिखाई तो राज समझ मे आ गया बास के सामने जब यह गुच्छकेशीं पूंछ हर बात पर दाएँ बायें हिलती होगी तो कौनसा अधिकारी इन्हे लायक नही समझेगा
मै पूछ उगाने का तरीका पूछने ही वाला था कि उन्होने मेरी रीढ़ की हड्डी दबा कर देखी और बोला बडी कडी हड्डी है उगाने मे समय लगेगा तब तक तो काफ़ी नुक्सान उठा लोगे |मैने ग़िडगिडाते हुए कहा प्रभु शीघ्र कोई उपाय करे मै घाटा नही उठाना चाहता उन्होने कहा रीढ़ की हड्डी पर ब्रेक आयल लगा लगा कर शाकप्रूफ़ करो इसे कभी भी अधिकारियों के सामने सीधी मत होने दो फ़िर जब हड्डी लोचदार हो जाये तो इसके निम्न भाग पर
चाकरी व चापलूसी छाप एडहेसिव लगाते हुए यस सर ,जी सर, अछ्छा सर मन्त्रो का जाप करो जब मन्त्र सिध्दि हो जायेगी तो पूछ उगेगी और झब्बेदार होगी जिस पर हर बास खुश हो जाएगा आउट आफ़ टर्न प्रोमोशन भी मिल सकता है गुड इन्ट्री की बाढ सी आ जायेगी मैने बडा प्रयास किया लेकिन यह मुइ रीढ की हड्डी हर बार दगा दे जाती है यस सर जी सर का मन्त्र तो जपता हू लेकिन एन मौके पर जब जब पूछ थोडी सी उगने को नोक्दार सी दिखने लगती है तब तब रीढ की हड्डी कडी जाती है तथा पूछ का अल्ट्रासाउंड होने से पहले ही भ्रूणपात हो जाता है कई अफ़्सरो ने मुझे चेतावनी देते हुए दो महीने या तीन महीने मे पूछ उगा कर दिखाने की मोहलत दी पर मै उसका फ़ायदा नही उठा पाया मेरे ही सह्कर्मी दुम लगा कर उगा कर मेरे ही बास बन गये और मै एक अदद प्लास्टिक की पूछ भी नही चिपका सका कारण वही आखिर नकली हो या असली आखिर दुम टिकाएँगे कहाँ मेरुदण्ड पर ही ना वही तो लोचा है इस लोचहीन मेरूदण्डीय काया के चलते मैने बडा नुक्सान उठाया
अचानक आज मेरे गुरूदेव मिल गये जिन्होने पूंछ का रहस्योद्घाटन किया था बडे ओहदे पर प्रदेश के सचिवालय मे इन दिनो है मेरे निराशाजनक खबर की मै पूंछ विहीन हो कर नौकरी कर रहा हूं वे बडे चिन्तनमग्न हो कर बोले अब तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता मैने कहा कोई नयी तक्नीक लगा कर भी यदि दुम उगा लिया जाय तो शायद अफ़्सर का जीवन सफ़ल हो जाये मेरी दशा तो पेड से गिरे कपि की हो गयी है जो समूह से अलग थलग दिखता है यहा तक कि मेरी बीबी और बच्चे भी हिकारत से देख कर कोसते है इतने दिनो से नौकरी कर रहे है एक दुम तो उगा नही सके पता नही जिन्दगी मे क्या करेगे मेरी दशा बान्झ धरती की हो गयी है कोई तो जिप्सम होगा जिससे इस बान्झ भरी अफ़्सरी मे हरितिमा दिखाई दे शन्टिग के डिब्बे की तरह पोस्टिंग मिल रही है प्रोमोशन के लाले पडे हुए है अभी तक ना तो बन्गला बना सका और ना तो गाडी ही ले सका गुरूवर खाली ज़ी पी एफ़ ,पी पी एफ़ को देख कर कितना हौसला रखा जाय|
मेरे इस लम्बे चौड़े प्रश्न का सन्क्षिप्त उत्तर था”अब कुछ नही हो सकता’ क्यो कुछ नही हो सकता ? गुरूजी
अब तुम मैनोपाज मे जा चुके हो
क्या कहा गुरू जी मैनोपाज तो महिलाओ को होता है
ठीक कहे वत्स लेकिन अफ़सरो को जिनकी मेरू लोचहीनता के कारण झुकती नही उनके मैनहुड के कारण दुम ना तो उगती है ना नकली चिपकती है इसी मैनड्म के कारण ही मैनोपाज हो जाता है अब हमे देख लो इतनी उम्र हो गई आफ़िस मे महिला बास है यस मैम ,मैम कहते जबान नही थकती घर पर भी इन्ही अच्छे संस्कारो के कारण पत्नीवल्लभा बना हुआ हू यदि मैनहुड को मेरू से लगा कर चलता तो किसी मैनहोल मे फ़ेक दिया गया होता जानते नही सरकार भी महिलाए ही चला रही है सीखना है तो सतीश से सीखो ये लोग कभी भी दुमविहीन नही हो सकते और ना कभी इन्हे मैनोपाज का ही खतरा है

तो मित्रो मेरी नेक सलाह है कि यदि सिस्ट्म मे काम कर तरक्की पानी हो तो मेरूदण्डीय तन्त्र का आप्रेशन करा कर उसके सिरे पर एक अच्छी सी गुच्छकेशीं पूछ लगा लीजिएगा या उगा लीजिएगा जो आपके सर कहते ही आपके सिर के साथ ही हिल सके दुम ऐसी होनी चाहिये जो मौके की नजाकत को देख कर अनेक कार्य कर सके
नीचे के अफ़्सरो पर इसी दुम को प्रहारित कर उन्हे दन्डित भी किया जा सके ऐसी विविधकार्य साधक दुम यदि आपने उगा ली या नौकरी के शुरूआती दिनो मे लगा ली तो इन्शाअल्लाह आपको आगे बढने से कोई फ़रिश्ता भी नही रोक सकेगा