tag:blogger.com,1999:blog-5506822540667832859.post3921385132815177322..comments2023-10-31T06:08:48.637-07:00Comments on क्या कहूँ: गे पर इतनी है तौबा क्योंarun prakashhttp://www.blogger.com/profile/11575067283732765247noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5506822540667832859.post-50992102065757432202009-08-23T04:30:33.016-07:002009-08-23T04:30:33.016-07:00मैं आपकी बातों से बिल्कुल भी सहमत नहीं हूं, खैर मै...मैं आपकी बातों से बिल्कुल भी सहमत नहीं हूं, खैर मैं यह कहने के लिये आया था कि आपकी अभिव्यक्ति में दम है ।Abhishekhttp://rainbowisgrey.wordpress.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5506822540667832859.post-7569804051619472062009-08-10T19:01:48.013-07:002009-08-10T19:01:48.013-07:00अंग्रेजी में तो सभी गड़बड़ झाला है पार्टी में शामि...अंग्रेजी में तो सभी गड़बड़ झाला है पार्टी में शामिल होने जैसी बात नहीं है लेख की अंतिम लाईने खुद ही स्पष्ट कर रही हैं की कानून से समाज सुधार नहीं हो सकता समाज खुद ही अपने नैतिक तथा तथाकथित अनैतिक नियमों से खुद को बनता बिगड़ता चलता आ रहा है अंत में समाज को ही तय करना है की वह इसे कहाँ तक स्वीकार करता है चाहे व लिव रिलेशन हो चाहे गे रिलेशन होarun prakashhttps://www.blogger.com/profile/11575067283732765247noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5506822540667832859.post-3002641245939849262009-07-29T23:03:41.956-07:002009-07-29T23:03:41.956-07:00आप की पार्टी में शामिल होने से पहले आप का मेनिफे...आप की पार्टी में शामिल होने से पहले आप का मेनिफेस्टो पढ़ रहा था ,एक आध बिंदु पर स्पष्टी करण चाहिए ,' आपने नेचर एवं नेचुरल शब्द का प्रयोग बहुतायत में किया है '<br />इन नेचर एवं नेचुरल शब्दों का हिंदी अर्थ या भावार्थ क्या है ? अंग्रेजी पर हाथ कुछ कमजोर है अब मैं समझ नहीं पता की कब अंकल का मतलब मामा है कब फूफा कब चाचा कब ताऊ और कब मौसा हो जाता है ? <br />कब चची के लिए ,कब मौसी के लिए ,कब बुआ के लिए कब मामी के लिए ' अंटी ,'प्रयोग हो रहा है ? <br />क<br />सिस्टर इन ला शब्द कब '' साली ,यानि आधी घर वाली '' जैसे गुदगुदाते रिश्तों के लिए है और कब ' मातृ जैसे पूजनीय वन्दनीय के समकक्ष पद ' भाभी 'के लिए और छोटी बहन या पुत्री के समकक्ष ' भयो या अनुज बधू 'के लिए प्रयुक्त किया गया है ?<br /><br />उसी प्रकार हिंदी में दो शब्द ऐसे है जिनके सन्दर्भ में अंग्रेजी दां लोग नेचर शब्द का प्रयोग करते हैं एक है '' प्रकृति ''<br />और दूसरा है ''नैसर्गिक '' यह उसी प्रकार है जैसे ''रिलिजन '' का प्रयोग वे धर्म और संप्रदाय दोनों के लिए करते हैं जब की सांप्रदायिक के लिए वे कम्युनल का प्रयोग करते है | उत्तर की प्रत्याशा में <br /> <a href="http://anyonasti-chittha.blogspot.com/2009/07/blog-post_04.html" rel="nofollow"> <b><i>कबीरा </i></b></a>kabeeraahttps://www.blogger.com/profile/16379567788959918844noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5506822540667832859.post-11689833324297824082009-07-29T19:55:40.175-07:002009-07-29T19:55:40.175-07:00इतना स्पष्ट और बेलौस विचार -पहले काहें नहीं बताये ...इतना स्पष्ट और बेलौस विचार -पहले काहें नहीं बताये थे -तब कुछ प्रयोग योग हम भी मिल जुल कर लेते ! अब तो देर हो गयी है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5506822540667832859.post-18235238246269834792009-07-28T05:04:18.527-07:002009-07-28T05:04:18.527-07:00बिलकुल सही विचार है आपका.वास्तव में ही यह तय करने ...बिलकुल सही विचार है आपका.वास्तव में ही यह तय करने का अधिकार केवल समाज की अंतिम इकाई अर्थात एक व्यक्ति को ही है कि क्या उसके लिए सही है और क्या गलत ,क्योंकि व्यक्क्ति से ही समाज का निर्माण होता है .जिस दिन सारे व्यक्ति एक एक करके मान लेंगे कि समलैंगिकता सही है ,उस दिन समाज इसे स्वीकार कर लेगा ,उसे स्वीकार करना ही होगा ,क्योंकि समाज व्यक्ति से ही बना है .इस लिए इस मुद्दे को क्यों न हम व्यक्ति पर ही छोड़ दें ?वातायनhttps://www.blogger.com/profile/06936729287168677565noreply@blogger.com