बुधवार, 30 जून 2010
क्या यही नारी की आधुनिकता है
एक दिन ऐसा वाकया हुआ कि मैं अपने मित्र के साथ ऑटो से कहीं जा रहा था मेरे मित्र जो पेशे से वकील है तथा काफी दुबले पतले जीरो
साइज के है वह पीछे बैठे हुए थे मैं उनके सामने वाली सीट पर बैठा गुफ्तगू कर रहा था तब तक एक अधेड़ महिला जो स्वयं तो सलवार समीज में थी अपनी किशोर वय की कन्या के साथ बैठ गयी ऑटो में बैठते ही उन्होंने वकील साहब कों एक गंभीर किस्म का धक्का दिया जिससे वकील साहब का कृशकाय शरीर लैपटॉप से नोट बुक टाइप में बदल गया तथा वे अपनी इज्जत बचाते हुए ऑटो के किनारे दुबक कर रह गए
कुछ देर के बाद पुनः महिला ने दीर्घ स्वास ले कर एक हलका सा धक्का इस अंदाज में दिया मानो उसको बैठने में परेशानी हो रही है तथा कहा कि और खिसकिये इस पर बेचारे वकील साहब ने मिमियाते हुए कहा कि अब कितना पतला हो जाऊं दीवार से सटा हुआ हू आप कहे तो उतर जाऊं इस पर उस महोदया ने अंग्रेजी में गाली देते हुए कहा कि ना जाने कैसे कैसे लोग ऑटो में बैठ जाते है सिविक सेन्स नहीं है इन अनकल्चर्ड लोगो कों अभी मैं कुछ समझ ही पाता तब तक वकील साहब ने कहा कि मैडम कल्चर की बात ना करे तो अच्छा है यदि सार्वजनिक वाहनों से इतनी ही एलर्जी है तो ऑटो रिजर्व कर लेना चाहिए था ताकि अनकल्चर्ड लोगो से पाला ना पड़ता इस पर वे महिला ऑटो वाले कों बुरा भला कहते हुए कि कैसी जाहिल गंवार लोगो कों बैठा लेते हो रोको मुझे उतरना है
ऑटो वाला जब तक रोकता तब तक वकील साहिब भी आपे से बाहर हो चुके थे उनका पतला शरीर नाग के समान बल खा रहा था उन्होंने ऑटो वाले से कहा कि उतार दो मैं यह दोनों सीट रिजर्व कर लेता हूँ तुम्हे पैसे मिल जायेंगे अगले मोड़ पर वकील साहिब ने कह दिया कि मैडम आप का क्या कल्चर है वह आपके और आपकी कन्या के परिधानों से साफ़ झलक रहा है यदि बाहर आपका यह पहनावा और यह कल्चर दिख रहा है तो आपके परिवार का क्या संस्कार होगा सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है वकील साहब के इस तर्क से महिला पर तो कोई ख़ास प्रतिक्रिया नही हुई लेकी वह आधुनिका कन्या का चेहरा शर्म से लाल हुआ
दर असल जब वे दोनों भद्र स्त्रिया ऑटो से उतरी तो लड़की जो तंग जींस व टी शर्ट में थी शर्ट जो कुछ कुछ आधी सी थी तथा नाभि कों ढकने का प्रयास कर रही थी उस शर्ट पर एक स्लोगन लिखा था
virginity is not a dignity it is just a lack of opportunity
पहले तो मैंने इस पर ध्यान नही दिया केकिन बाद में घर आकर मैंने अपनी आधुनिका रिश्तेदार से इस सारी घटना की चर्चा करते हुए शर्ट पर लिखे आप्त वाक्य और उसके खरीदने वाले पिता माता या स्वयं उस लड़की की भर्त्सना करता उससे पहले ही उन्होंने मुझे यह कह कर चुप करा दिया कि बड़े किस्मत वाले हो तुम्हारे कोई लड़की नही है अन्यथा तुम ऎसी बात की चर्चा नही करते चुप चाप देख कर भी अनदेखा कर देते उनके इस उत्तर से हतप्रभ हो कर मैं उस दिन से यही सोच रहा हू कि क्या खुशबू जैसे लोग घर घर में नही है तब उसके एक बयान पर इतना बवाल क्यों ?
क्या लड़की के अभिभावक इतने निरीह हो गए है कि वे आधुनिकता के नाम पर ऐसे स्लोगन वाले वस्त्र खरीद कर पहनाते है क्या हमारी संस्कृति व मानसिकता में इतना परिवर्तन आ चुका है यदि वास्तव में ऐसा ही है तो वाकई मैं भाग्यशाली हू कि मेरी कोई लड़की नही है जैसा कि मेरी महिला रिश्तेदार ने मुझे बताया था
आप भी क्या ऐसा ही सोचते है वैसे मैं एक बात स्पष्ट करता दू कि मैं नारी समानता और स्वतंत्रता का समर्थक हू पर........
क्या आधुनिकता ने हमें इस कदर गुलाम बना रखा है
गुरुवार, 24 जून 2010
पत्नी पूजा पद्धति साकार ब्रह्म उपासना
आज कल कुछ ब्लागर मित्र नारी कों कौन सी देवी माने इसी चिंता में डूबे हुए हैं ,ऐसा लगता है की देवी रूप काआभास होते ही वे नारी कों उसी रूप में पूजना शुरू कर देंगे वैसे मेरा मत उनसे अलग है पहले हम सभी कों पत्नीपूजा की सही पद्धति कविवर गोपाल जी व्यास की इस कविता का प्रातः सस्वर पाठ कर सीखना चाहिए प्रस्तुत हैइस स्तोत्र के अंश रही बात नारी के लक्ष्मी या सरस्वती के होने के तो इस पर अलग से एक पूरक लेख प्रस्तुतकरने का प्रयास करूंगा भाई अरविन्द जी के लेख से प्रेरित हो कर मैंने सोचा की जन कल्याणार्थ पहले इस पूजापद्धति कों प्रकाशित कर दिया जाय , लेकिन एक बात समझ में नही आती की इतने वरिष्ठ चिट्ठाकार कों प्रातःकाल स्त्री कों कौन सी देवी माना जाय यह पोस्ट लिखने के पीछे आखिर कौन सी विषम परिस्थितिया कारक रही होगी
खैर इसके बारे में बाद में ,पहले पत्नी पूजा पद्धति का पाठ करते है इसके पाठ मात्र से स्त्री के देवी रूप रहस्यों के सम्बन्ध में पति के सभी जन्म जन्मान्तरो के भ्रम का निवारण हो जाता है तथा वह देह त्यागने के पश्चात स्त्री लोक वासी बन कर अनंत काल तक सुखो का भोग करता है लेकिन इसके लिए इह लोक में पत्नी चर्या का कठोर व्रत करना होता है
सर्व प्रथम प्रातः उठ कर नित्य क्रिया से फारिग हो कर विवाह कराने वाले अगुवा ( मध्यस्थ ) कों स्मरण कर ले उन्हें मानसिक रूप से अभिनन्दन करने के पश्चात
अपने स्वसुर व सास जी कों नमस्कार कर के ही इसका पाठ करना श्रेयस्कर है
अथ पत्नी पूजा स्तोत्र
अगर ईश्वर पर विश्वास ना हो,
और उससे फ़ल की आस ना हो |
तो अरे नास्तिको घर बैठे ,
साकार ब्रह्म को पहचानो |
पत्नी को परमेश्वर मानो|
ये अन्नपूर्णा जगजननी,
माया है इनको अपनाओ |
ये शिवा भवानी चन्डी है ,
तुम भक्ति करो कुछ भय खाओ |
सीख़ो पत्नी - पूजन पद्धति
पत्नी-चर्या पत्नी अर्चन
पत्नी व्रत पालन करे जाओ
पत्नीवत शास्त्र पढे जाओ |
अब कृष्णचन्द्र के युग बीते
राधा के दिन बढ्ती के है |
यह सदी इक्कीसवी है भाई,
नारी के ग्रह चढती के है |
तुम उनसे पहले उठा करो
उठते ही चाय तैयार करो
उनके कमरे के कभी अचानक ,
खोला नही किवाड करो
उनकी पसन्द के कार्य करो
उनकी रूचियो को पहचानो
पत्नी को …………………।
तुन उनके प्यारे कुत्ते को
बस चूमो चाटो, प्यार करो
तुम उनको टी वी देखने दो
आओ कुछ घर का काम करो
वे अगर इधर आ जाये कही
तो कहो – प्रिये आराम करो |
उनकी भौंहे सिग्नल समझो ,
वे चढी कही तो खैर नही |
तुम उन्हे नही डिस्टर्व करो ,
यू हटो बजाने दो प्यानो,|
पत्नी को परमेश्वर मानो |
तुम आफ़िस से आ गये ठीक ,
उनको क्लब मे जाने दो |
वे अगर देर से आती है ,
तो मत शन्का को आने दो |
तुम समझो एटीकेट सदा
उनके मित्रो से प्रेम करो
वे कहाँ , किस लिये जाती है
कुछ मत पूछो शेम करो ,
पत्नी को परमेश्वर मानो |
तुम समझ उन्हे स्टीम गैस
अपने डिब्बों को जोड चलो
जो छोटे स्टेशन आये तुम
उन सबको पीछे छोड चलो |
जो सम्भल कदम तुम चले चलो ,
तो हिन्दू सदगति पाओगे |
मरते ही हूरे घेरेंगी ,
तुम चूको नही मुसलमानों
पत्नी को परमेश्वर मानो |