रविवार, 3 जुलाई 2011

आज के पुष्प की अभिलाषा


माखन लाल चतुर्वेदी की प्रसिद्द रचना पुष्प की अभिलाषा कों आज के सन्दर्भ में एक स्थान पर कुछ ऐसे लिखा पाया

चाह नही मैं मनमोहन की माला में गुथा जाऊ
चाह
नहीं राहुल बाबा की वरमाला में गुथा जाऊ
चाह
नही मैं अन्ना के सर चढ़ मैं सत्ता से बतियाऊ
चाह
नहीं मैं रामदेव के संग पुलिस की लाठी खाऊ

मुझे
तोड लेना दिग्गी तुम उस दफ्तर में देना फेक
बिना
वजन फ़ाइल सरका दे जिसके अफसर बाबू नेक