माखन लाल चतुर्वेदी की प्रसिद्द रचना पुष्प की अभिलाषा कों आज के सन्दर्भ में एक स्थान पर कुछ ऐसे लिखा पाया
चाह नही मैं मनमोहन की माला में गुथा जाऊ
चाह नहीं राहुल बाबा की वरमाला में गुथा जाऊ
चाह नही मैं अन्ना के सर चढ़ मैं सत्ता से बतियाऊ
चाह नहीं मैं रामदेव के संग पुलिस की लाठी खाऊ
मुझे तोड लेना दिग्गी तुम उस दफ्तर में देना फेक
बिना वजन फ़ाइल सरका दे जिसके अफसर बाबू नेक