पाकिस्तान मीडिया की ख़बर सुन कर ऐसा लगा की काश कोई उधम सिंह जैसा क्रन्तिकारी रहता तो इन फटे मुंह और न जाने क्या क्या फटे अंगो वाले दुर्जनों कि ऐसी तैसी कर देता तो ये शरारत बंद हो जाती वास्तव में हमारे मनीषियों ने ठीक ही कहा है की शठे शाठ्यम समाचरेत | हिम्मत देखें ( खड्ग हस्तेन दुर्जन )पूरे समाचार की विडियो क्लिप hotklix.com पर देखें यहाँ zaid-hamid फरमा रहे है कि भारत ने अमेरिका के तर्ज पर ९/११ करना चाहा तो लेकिन उनका फ्राड बेनकाब हो गया | आतंकवादियों कि सूरत पाकिस्तानियों से नहीं मिलती
सूरत के लिए तो इनकी माँ से ही पूछना पड़ेगा कि इनकी पैदाइश १९७१ कि जंग के दौरान फटे बमों के बीच अप्राकृतिक रूप से तो नहीं हो गई थी| क्या पाकिस्तानियों के मुंह में बड़ी सी लकीर होती है जैसे नवाज शरीफ साहब के मुंह पर है या आम पाकिस्तानियों की शक्लें लंगूरों कि तरह होती हैं ये इन जनाब ने नहीं बताई
ये कहतें है कि हमले भारत सरकार ने मुम्बई में करवाए , करकरे का कत्ल भारतीय सेना व बी जे पी ने करवाए क्योंकि वह उसका पर्दाफाश करने ही वाले थे
कौन बताये कि यदि हमला करना ही होता तो तुम्हारे यहाँ जो फिदायीन हमले होते है उसके दस गुने हमले हो चुके होते
शिशुपाल कि कहानी पढो सबक मिल जाएगा कि भगवान् कृष्ण को भी उस आततायी का संहार करने के लिए उसकी सौ गालियाँ सहनी पड़ी थीं हम लोग श्रीकृष्ण कि तरह भगवान् तो नहीं है लेकिन पचास के आस पास आंकडो तक पहुंचाते ही तुम्हारा संहार हो जाएगा | मनमोहन कि गिनती और अंक गणित कमजोर है न अमर सिंह उसका हिसाब किताब देख रहे है जिस दिन सही गिनती हो जायेगी उस दिन पता चलेगा zaid hamid कि भारतीय फौज के हमले कैसे होतें है
5 टिप्पणियां:
... दमदार अभिव्यक्ति।
जोरदार ..टेंपो बना रहे!
अब जायद हामिद को क्या कहें, वो तो ठहरे पाकिस्तानी लेकिन हमारे नेताओ को क्या हो गया, जिसे देखो आए दिन कुछ न कुछ बेतुका बोल ही देंगे. अंतुले साहब को क्या पड़ी थी इतना बेवकूफाना बयां देने कि लेकिन ये नेता न तो retire होने को तैयार हैं और न ही जनता इन बेवकुफ और मौकापअरस्त नेताओं का कुछ कर सकती है, सिवाए अपनी मजबूरी पर क्रोध करने के. ये भारत के प्रतिनिधि कहाँ से हैं?
अरुणजी आप ने वेद -पुराण [ इंटरनेट हिन्दी ] पर अक्षरों के छोटे होने की शिकायत की है ? आप अपनी स्क्रीन पर अपनी ज़रूरत के हिसाब से अक्षर बड़ा -छोटा कर सकते हैं | केवल " Ctrl. की" केसाथ बड़ा करने हेत " + " और छोटा करने हेत " -" की दबाएँ ;परिणाम सामने होगा |
"बतकही"
आप नही जानते अब्दुल रहमान अंतुले पुराने खुराफाती हैं ,| उनकी बात के पीछे एक भयानक उदेश्य छिपा है ,यही काम दिल्ली के बटाला हॉउस मुठभेड़ कांड में जामिया के कुलपति शायद उनका नाम मुनिस रज़ा [नाम याद नही आरहा और ठण्ड में रिकार्ड के लिए उठाना बहादुरों का काम है ] था ने किया था उस समय भी उद्देश्य यही था जो अबकी अंतुले का था |
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