जब अधिकारी के रूप मे तैनाती हुई तब ऐसा ना सोचा था कि इतने पापड बेलने होगे
आज बीस साल के बाद ये राज खोल रहा हू ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ यह ना कह सके कि उनके पूर्वजो ने कोई अधिकारी शरीर संहिता नही बनाइ वैसे तो बाजार मे बडी आचार संहिताये मिल जाएगी लेकिन अधिकारी को सिस्ट्म मे कैसे अपने उच्च अधिकारी को प्रसन्नचित्त रखते हुए सफ़लता की सीढिया चढनी चाहिये ? यह ना तो किसी ट्रेनिंग मे सिखाया जाता है और ना ही गुणी ज़न ही इसे बताते है मैने यह गुप्त ज्ञान बडे यत्न से गुह्यातिगुह्य कर रखा था जिसका खुलासा परोपकरार्थ प्रकाशित कर रहा हूं वैसे हमारे देश की परम्परा मे जब तक योग़्य शिष्य ना मिले तब तक ज्ञान बाँटने की मनाही रही है लेकिन पता नही कोई गुरूघन्टाल शिष्य मिले ना मिले सो आज ब्लाग के माध्यम से एक राज की बात का खुलासा कर रहा हू वैसे इसी ब्लाग के माध्यम से सफ़ल अधिकारी होने के शार्ट कट सुझाव आपको देने का प्रयास किया जायेगा
एक सफ़ल अधिकारी बनने के लिये उसका पूंछदार होना जरूरी है मूंछ ना हो कोई बात नही लेकिन पूंछ बिना अधिकारी ऐसा लगता है जैसे कच्ची उम्र की विधवा जिसे सभी सहानुभूति की नजर से देखते है लेकिन मदद करना कोई नही चाहता शोषण करने के लिए सभी बैठे रहते है ऐसी ही हालत एक नये रंगरूट पूंछ बिहीन अधिकारी की होती है शुरू शुरू मे बडी उल्झन होती है पूंछ विहीन हो कर अधिकारियो के सामने जाने मे क्योंकि उच्च अधिकारी शन्का की नजरो से देखते थे एक दिन मैने अपने वरिष्ठ सहकर्मी से बास के नाराजगी का कारण की जानकारी पूछी तो उन्होने बेफ़िक्री से कहा दुम उगा लो सब समस्या हल हो जाएगी चुटकियों मे
मैने कहा व्हाट एन आईडिया सर जी लेकिन पहले अपनी पूंछ तो दिखाइये उन्होने जो अपनी पूंछ दिखाई तो राज समझ मे आ गया बास के सामने जब यह गुच्छकेशीं पूंछ हर बात पर दाएँ बायें हिलती होगी तो कौनसा अधिकारी इन्हे लायक नही समझेगा
मै पूछ उगाने का तरीका पूछने ही वाला था कि उन्होने मेरी रीढ़ की हड्डी दबा कर देखी और बोला बडी कडी हड्डी है उगाने मे समय लगेगा तब तक तो काफ़ी नुक्सान उठा लोगे |मैने ग़िडगिडाते हुए कहा प्रभु शीघ्र कोई उपाय करे मै घाटा नही उठाना चाहता उन्होने कहा रीढ़ की हड्डी पर ब्रेक आयल लगा लगा कर शाकप्रूफ़ करो इसे कभी भी अधिकारियों के सामने सीधी मत होने दो फ़िर जब हड्डी लोचदार हो जाये तो इसके निम्न भाग पर
चाकरी व चापलूसी छाप एडहेसिव लगाते हुए यस सर ,जी सर, अछ्छा सर मन्त्रो का जाप करो जब मन्त्र सिध्दि हो जायेगी तो पूछ उगेगी और झब्बेदार होगी जिस पर हर बास खुश हो जाएगा आउट आफ़ टर्न प्रोमोशन भी मिल सकता है गुड इन्ट्री की बाढ सी आ जायेगी मैने बडा प्रयास किया लेकिन यह मुइ रीढ की हड्डी हर बार दगा दे जाती है यस सर जी सर का मन्त्र तो जपता हू लेकिन एन मौके पर जब जब पूछ थोडी सी उगने को नोक्दार सी दिखने लगती है तब तब रीढ की हड्डी कडी जाती है तथा पूछ का अल्ट्रासाउंड होने से पहले ही भ्रूणपात हो जाता है कई अफ़्सरो ने मुझे चेतावनी देते हुए दो महीने या तीन महीने मे पूछ उगा कर दिखाने की मोहलत दी पर मै उसका फ़ायदा नही उठा पाया मेरे ही सह्कर्मी दुम लगा कर उगा कर मेरे ही बास बन गये और मै एक अदद प्लास्टिक की पूछ भी नही चिपका सका कारण वही आखिर नकली हो या असली आखिर दुम टिकाएँगे कहाँ मेरुदण्ड पर ही ना वही तो लोचा है इस लोचहीन मेरूदण्डीय काया के चलते मैने बडा नुक्सान उठाया
अचानक आज मेरे गुरूदेव मिल गये जिन्होने पूंछ का रहस्योद्घाटन किया था बडे ओहदे पर प्रदेश के सचिवालय मे इन दिनो है मेरे निराशाजनक खबर की मै पूंछ विहीन हो कर नौकरी कर रहा हूं वे बडे चिन्तनमग्न हो कर बोले अब तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता मैने कहा कोई नयी तक्नीक लगा कर भी यदि दुम उगा लिया जाय तो शायद अफ़्सर का जीवन सफ़ल हो जाये मेरी दशा तो पेड से गिरे कपि की हो गयी है जो समूह से अलग थलग दिखता है यहा तक कि मेरी बीबी और बच्चे भी हिकारत से देख कर कोसते है इतने दिनो से नौकरी कर रहे है एक दुम तो उगा नही सके पता नही जिन्दगी मे क्या करेगे मेरी दशा बान्झ धरती की हो गयी है कोई तो जिप्सम होगा जिससे इस बान्झ भरी अफ़्सरी मे हरितिमा दिखाई दे शन्टिग के डिब्बे की तरह पोस्टिंग मिल रही है प्रोमोशन के लाले पडे हुए है अभी तक ना तो बन्गला बना सका और ना तो गाडी ही ले सका गुरूवर खाली ज़ी पी एफ़ ,पी पी एफ़ को देख कर कितना हौसला रखा जाय|
मेरे इस लम्बे चौड़े प्रश्न का सन्क्षिप्त उत्तर था”अब कुछ नही हो सकता’ क्यो कुछ नही हो सकता ? गुरूजी
अब तुम मैनोपाज मे जा चुके हो
क्या कहा गुरू जी मैनोपाज तो महिलाओ को होता है
ठीक कहे वत्स लेकिन अफ़सरो को जिनकी मेरू लोचहीनता के कारण झुकती नही उनके मैनहुड के कारण दुम ना तो उगती है ना नकली चिपकती है इसी मैनड्म के कारण ही मैनोपाज हो जाता है अब हमे देख लो इतनी उम्र हो गई आफ़िस मे महिला बास है यस मैम ,मैम कहते जबान नही थकती घर पर भी इन्ही अच्छे संस्कारो के कारण पत्नीवल्लभा बना हुआ हू यदि मैनहुड को मेरू से लगा कर चलता तो किसी मैनहोल मे फ़ेक दिया गया होता जानते नही सरकार भी महिलाए ही चला रही है सीखना है तो सतीश से सीखो ये लोग कभी भी दुमविहीन नही हो सकते और ना कभी इन्हे मैनोपाज का ही खतरा है
तो मित्रो मेरी नेक सलाह है कि यदि सिस्ट्म मे काम कर तरक्की पानी हो तो मेरूदण्डीय तन्त्र का आप्रेशन करा कर उसके सिरे पर एक अच्छी सी गुच्छकेशीं पूछ लगा लीजिएगा या उगा लीजिएगा जो आपके सर कहते ही आपके सिर के साथ ही हिल सके दुम ऐसी होनी चाहिये जो मौके की नजाकत को देख कर अनेक कार्य कर सके
नीचे के अफ़्सरो पर इसी दुम को प्रहारित कर उन्हे दन्डित भी किया जा सके ऐसी विविधकार्य साधक दुम यदि आपने उगा ली या नौकरी के शुरूआती दिनो मे लगा ली तो इन्शाअल्लाह आपको आगे बढने से कोई फ़रिश्ता भी नही रोक सकेगा
5 टिप्पणियां:
नेक सलाह है. :)
एक सफ़ल अधिकारी बनने के लिये उसका पूंछदार होना जरूरी है मूंछ ना हो कोई बात नही लेकिन पूंछ बिना अधिकारी ऐसा लगता है जैसे कच्ची उम्र की विधवा जिसे सभी सहानुभूति की नजर से देखते है लेकिन मदद करना कोई नही चाहता शोषण करने के लिए सभी बैठे रहते है ऐसी ही हालत एक नये रंगरूट पूंछ बिहीन अधिकारी की होती है शुरू शुरू मे बडी उल्झन होती है पूंछ विहीन हो कर अधिकारियो के सामने जाने मे क्योंकि उच्च अधिकारी शन्का की नजरो से देखते थे एक दिन मैने अपने वरिष्ठ सहकर्मी से बास के नाराजगी का कारण की जानकारी पूछी तो उन्होने बेफ़िक्री से कहा दुम उगा लो सब समस्या हल हो जाएगी
वाह गज़ब कि ट्रेनिग दी आपने .....!!
जब आगे है तो पीछे क्या जरूरत है -मितव्ययता के लिहाज से उसी को आगे पीछे करके किसी तरह काम चलाईये -हाँ यह जानकारी महिला आधिकारियों के काम की हो सकती है उन्हें तो उगानी पड़ सकती है या आप सरीखों से उधार माँगी जा सकती है
अदभुत सलाह !
हाँ, हम बे-दुम ही रहेंगे । मास्टर जो ठहरे !
उन्नतिशील मास्टर बनने के गुर बताइये !
ऐसे ही पूंछ वालों ने भारत को मेरुदण्डविहीन केंचुये में बदल दिया है.
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