गुरुवार, 24 जून 2010

पत्नी पूजा पद्धति साकार ब्रह्म उपासना



आज कल कुछ ब्लागर मित्र नारी कों कौन सी देवी माने इसी चिंता में डूबे हुए हैं ,ऐसा लगता है की देवी रूप काआभास होते ही वे नारी कों उसी रूप में पूजना शुरू कर देंगे वैसे मेरा मत उनसे अलग है पहले हम सभी कों पत्नीपूजा की सही पद्धति कविवर गोपाल जी व्यास की इस कविता का प्रातः सस्वर पाठ कर सीखना चाहिए प्रस्तुत हैइस स्तोत्र के अंश रही बात नारी के लक्ष्मी या सरस्वती के होने के तो इस पर अलग से एक पूरक लेख प्रस्तुतकरने का प्रयास करूंगा भाई अरविन्द जी के लेख से प्रेरित हो कर मैंने सोचा की जन कल्याणार्थ पहले इस पूजापद्धति कों प्रकाशित कर दिया जाय , लेकिन एक बात समझ में नही आती की इतने वरिष्ठ चिट्ठाकार कों प्रातःकाल स्त्री कों कौन सी देवी माना जाय यह पोस्ट लिखने के पीछे आखिर कौन सी विषम परिस्थितिया कारक रही होगी
खैर
इसके बारे में बाद में ,पहले पत्नी पूजा पद्धति का पाठ करते है इसके पाठ मात्र से स्त्री के देवी रूप रहस्यों के सम्बन्ध में पति के सभी जन्म जन्मान्तरो के भ्रम का निवारण हो जाता है तथा वह देह त्यागने के पश्चात स्त्री लोक वासी बन कर अनंत काल तक सुखो का भोग करता है लेकिन इसके लिए इह लोक में पत्नी चर्या का कठोर व्रत करना होता है
सर्व प्रथम प्रातः उठ कर नित्य क्रिया से फारिग हो कर विवाह कराने वाले अगुवा ( मध्यस्थ ) कों स्मरण कर ले उन्हें मानसिक रूप से अभिनन्दन करने के पश्चात
अपने
स्वसुर सास जी कों नमस्कार कर के ही इसका पाठ करना श्रेयस्कर है




अथ पत्नी पूजा स्तोत्र

अगर ईश्वर पर विश्वास ना हो,

और उससे फ़ल की आस ना हो |

तो अरे नास्तिको घर बैठे ,

साकार ब्रह्म को पहचानो |

पत्नी को परमेश्वर मानो|


ये अन्नपूर्णा जगजननी,

माया है इनको अपनाओ |

ये शिवा भवानी चन्डी है ,

तुम भक्ति करो कुछ भय खाओ |

सीख़ो पत्नी - पूजन पद्धति

पत्नी-चर्या पत्नी अर्चन

पत्नी व्रत पालन करे जाओ

पत्नीवत शास्त्र पढे जाओ |



अब कृष्णचन्द्र के युग बीते

राधा के दिन बढ्ती के है |

यह सदी इक्कीसवी है भाई,

नारी के ग्रह चढती के है |

तुम उनसे पहले उठा करो

उठते ही चाय तैयार करो

उनके कमरे के कभी अचानक ,

खोला नही किवाड करो

उनकी पसन्द के कार्य करो

उनकी रूचियो को पहचानो

पत्नी को …………………।



तुन उनके प्यारे कुत्ते को

बस चूमो चाटो, प्यार करो

तुम उनको टी वी देखने दो

आओ कुछ घर का काम करो

वे अगर इधर आ जाये कही

तो कहो प्रिये आराम करो |



उनकी भौंहे सिग्नल समझो ,

वे चढी कही तो खैर नही |

तुम उन्हे नही डिस्टर्व करो ,

यू हटो बजाने दो प्यानो,|

पत्नी को परमेश्वर मानो |



तुम आफ़िस से आ गये ठीक ,

उनको क्लब मे जाने दो |

वे अगर देर से आती है ,

तो मत शन्का को आने दो |

तुम समझो एटीकेट सदा

उनके मित्रो से प्रेम करो

वे कहाँ , किस लिये जाती है

कुछ मत पूछो शेम करो ,

पत्नी को परमेश्वर मानो |



तुम समझ उन्हे स्टीम गै

अपने डिब्बों को जोड चलो

जो छोटे स्टेशन आये तुम

उन सबको पीछे छोड चलो |


जो सम्भल कदम तुम चले चलो ,

तो हिन्दू सदगति पाओगे |

मरते ही हूरे घेरेंगी ,

तुम चूको नही मुसलमानों

पत्नी को परमेश्वर मानो |







2 टिप्‍पणियां:

S.M.Masoom ने कहा…

मनुस्मृति के अनुसार ''जहाँ स्त्रियों का आदर किया जाता है, वहाँ देवता रमण करते हैं और जहाँ इनका अनादर होता है, वहाँ सब कार्य निष्फल होते हैं।

36solutions ने कहा…

पत्नी को परमेश्वर मानो |