रविवार, 26 मई 2013

एक खुला पत्र मार्निंग वाक करने वालो के नाम

एक पत्र सवेरे सवेरे टहलने वालो के नाम
     आप सुबह उठते हो अपना आरोग्य बनाने के लिए लोगो की चहारदिवारी से झाँकती हुई फूलो की कलियों को सवेरे सवेरे ही तोड़ कर उनकी नृशंस हत्या करते हो अपनी दीवारों के भीतर के फूल को निहार कर सुख पाते हो और दूसरे के घरो में ताक झांक कर उसी किस्म के फूलो को तोड़ कर इकट्ठा करते हो फिर जब तुम्हारा पोलिथिन भर जाता है तो किसी मंदिर पर देवप्रतिमा पर उसे उड़ेल आते हो कुछ प्रश्नों के जबाब चाहिए तुमसे
१-क्या  देवता ने तुम्हे डेपुट किया है इस अपहरण व नृशंस भ्रूण ह्त्या के लिए जो उसे प्रसन्न करने के लिए कलियों व फूलो को तोड़ देते हो ध्यान रहे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से फूल व कलिया पौधे का जनन तंत्र है
२ इस कृत्य के पश्चात तुम भ्रूण ह्त्या , बलात्कार, कन्या अपहरण यौनिक हिंसा का विरोध किस मुह से करते हो वह मुह दिखाओ जिसकी नैतिकता को मेरा कुत्ता सूंघ कर प्रमाणित करे
३ अपना धन तन तनया और दारा (पत्नी,से आशय है दारा सिंह से नहीं ) और बगीचे के फूल सुरक्षित रहे चहारदीवारी के भीतर और दूसरे के घरो की कोई चीज चहारदीवारी से दिख जाए तो आप ललचा जाते हो आपकी आँख में वासना की लालिमा छा जाती है यदि सवेरे सवेरे आपको कली व फूल के अलावा दूसरे की तनया या पत्नी अकेले दिख जाए तो मेरा दावा है आपके वही हाथ कसमसाते होगे आपके मनोमस्तिष्क में क्या यह विचार नहीं आते है कि इस उम्र में सवेरे सवेरे यह क्यों घूम रही है इसका क्या प्रयोजन है कही उसका कैरेक्टर ढीला तो नहीं है
४ सवेरे सवेरे यह पुण्य करने के पश्चात आप अखबार पढ़ कर मोदी का समर्थन नैतिकता की बाते बलात्कारियो को सरे आम फांसी सोनिया व कांग्रेस की बुराई भ्रष्टाचार से देश को बचाने आदि परे विचारमग्न हो कर चिंतित हो जाते हो धन्य है तुम्हारा दोहरा चरित्र
नोट यह पत्र सवेरे सवेरे घूमने वाली अति धार्मिक स्त्रियों  (मुरारी बापू आदि की कथाओं को सुनने वाली )अपनी युवा बहू व जीवित बूढी सास के निन्दोपाख्यान कर रही भूतपूर्व सुन्दरियों को भी समर्पित है

1 टिप्पणी:

अनूप शुक्ल ने कहा…

मार्निंग वाक न कर पाने का अफ़सोस आपकी यह पोस्ट पढ़कर खतम हो गया।