आज गुजरात के चुनाव परिणाम आ गएँ हैं तथा मोदी की जीत के बाद आरोप प्रत्यारोप लगने शुरू होगें । एक बात स्पष्ट हो रहा है कि हमारी जनता मुद्दों पर नहीं नारों व भावनाओं पर बहकती और चहकती है । सही मानो में नारों में बहकने के बाद पछताने के सिवाय और हाथ मलने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता है सही मायनों में लोकतंत्र की यही विडम्बना हैं कि प्रायः हमारे नेतागण भावनाओं को भरका कर ही उल्लू सीधा कर रहें हैं .
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