मंगलवार, 2 दिसंबर 2008

नेता उवाच कमीनापंथी की भी हद है

दो दिन के बाद नेताओं ने क्या क्या कहा तो पता चलेगा की ये कितने नपुंसक है
१-" नेता मुर्दाबाद कहने वाले लोग अलगाववादियों की तरह है |ये लोक तंत्र में शामिल लोगों के प्रति अविश्वास पैदा कर रहे है " मुक्तार अब्बास नकवी
नकवी साहिब काश्मीर में जो नारे लगते हैं उसके बारे में आपने अपने मुंह में क्या लगा लिया है लोक तंत्र का ठेका आपने जनभावनाओं के प्रति बयां बाजी करने के लिए बचा रखी है ऐसा लगता है की आपका जन्म संविधान की किताब के किसी झिंगूर से हुआ है जो लोकतंत्र को चाट रहा है

"मंत्री का काम समुद्र के तटों की रखवाली करना नहीं न ही जगह जगह चौकीदारी करना वह केवल पॉलिसी बनाता है " शकील अहमद (गृह राज्य मंत्री )
आप तो जैसवाल जी के साथ खो खो खेलो तथा पॉलिसी के नाम पर जूते पालिश करो जीभ से आला कमान का


अगर शहीद मेजर का घर नहीं होता तो यहाँ कुत्ता भी झांकने नहीं आता " अच्युतानंद (केरला के मुख्य मंत्री )
आपका नाम अच्युतानंद के जगह पर च्युतानंद क्यों नहीं रख दिया जाए | आप समझते हैं शहीद को जिंदगी भर तो लोगों को लाल सलाम के नाम पर कटवाते रहे| यदि मुख्य मंत्री नहीं होते तो कोई कुत्ता तुम्हारे मुंह पर शू शू कर चुका होते सुरक्षा गर्द हटा कर देखो केरला से कश्मीर तक लाइन लग जायेगी कुत्तों की आपके मुंह पर शू शू करने की आपके मुंह का बवासीर ठीक हो जाता
महाराष्ट्र मनुख वाले कुवीर्यजनित किन्नरों का बयां नहीं छाप रहा हूँ क्यों की महाराष्ट्र के महापुरुषों ने हमें मना कर रखा है

3 टिप्‍पणियां:

Arvind Mishra ने कहा…

बहुत जोरदार ! इस अभिव्यक्ति को सलाम !

बेनामी ने कहा…

after reading this i realized that i m not the only one who think that our politicians are eunuch
good work....

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

बहुत जोरदार !!!!!!!!
प्राइमरी का मास्टर