मंगलवार, 3 मार्च 2009

ये ससुरे कौन सी क्लास के आतंकवादी थे ??

आज के लाहौर में हुए श्रीलंका के खिलाड़ियों पर हुए आतंकवादी हमलों की घटना पर विचार करने
पर ऐसा लगता है की terrorist कैम्प के नर्सरी क्लास के आतंकवादी ने इस तरह की आतंकवादी घटना की है शर्म से सर झुका जाता है गिलानी साहेब और जरदारी का कि ऐसा नाकाम हमला जिसमे केवल अपने सिपाही और दो नागरिक मारे गए और मिशन फेल कर दिए .... आ थू सालो
क्या सोच कर आए थे कि जरदारी खुश होगा शाबाशी देगा सुवर के बच्चो वो ११ थे तुम १२ थे फ़िर भी खाली हाथ आ गए आ थू .............
हम क्या मुंह दिखायेंगे ओबामा और मोहतरमा क्लिंटन को कि हम भी आतंकवाद के शिकार हैं और उनसे अन्तिम लड़ाई लड़ रहे हैं अरे सालो एक भी खिलाड़ी नहीं मार पाए
ख़बर है कि उन डाक्टरों पर भी कार्यवाही हो सकती है या तालिबानियों का कहर उन पर हो सकता है जिन्होनो ने खिलाड़ियों का इलाज करते समय उन्हें जहर की सुई लगा कर नहीं मारा वरना कहने के लिए कुछ तो होता कि डाक्टरों कि तमाम कोशिशों के बावजूद हम फलां को बचा न सके ये पाकिस्तानी डाक्टर क्या हिन्दी फ़िल्म नहीं देखते है ? ये सब क्या डांस ही देखते हैं इन फिल्मों से इन्हे क्या विलेन कि हरामीपन व कमीनापन नहीं सीखना चाहिए था जो आज इनके देश के काम आता
इन आतंकवादियों की विफलता ने मुम्बई की सफलता को धो कर रख दिया
गिलानी व जरदारी दोनों के द्वारा इमोशनल अत्याचार करने व सियापा करने का एक अच्छा मौका इन नौ सीखिए आतंकी के कारण हाथ से जाता रहा आ ---- थू
पाकिस्तानी कप्तान ने कहा की श्रीलंका के खिलाड़ियों ने हंस कर बात की और वे इनसे माफ़ी माँगते है
हमारे यहाँ भी जब कोई गिरता है चोट भी लगती है तो वो हंस कर ही कहता है कि कोई खास चोट नहीं आई है अपने
आतंकी चचाजान से माफ़ी मांगो कि ये क्या कर दिया सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया सारी मुक्कमल तैयारी को नाकाम कर दिया इस नामुराद ड्राइवर ने और तुम्हारे बुझे हुए बमों ने ....
अब पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड को चाहिए कि वो अपना मैच अफगानिस्तानी क्रिकेट टीम से स्वात घाटी में खिलवाये या अफगानिस्तान जा कर तालिबान क्रिकेट क्लब टी सी सी से खेले मनचाहा रिजल्ट मिलेगा
वैसे भी श्रीलंका क्रिकेट टीम लालच में क्रिकेट खेलने आई थी क्यों कि जब कोई टीम नहीं जारही थी तब ये मुंह फैला कर गए और रनों का पहाड़ भी खड़ा कर दिए तो इनका तो या हस्र होना ही था
मैं तो गिलानी साहब और जरदारी साहेब आई एस आई के इस शोगवार नाकामी पर उनके साथ हूँ अल्लाह ताला उन्हें इस शोग को सहन करने कि ताकत अता फरमाए
लेकिन मुझे डर इस बात का भी है कि कहीं जरदारी साहेब ये न कह बैठे कि ऐसे थर्ड क्लास के आतंकवादी उनके देश के हो ही नहीं सकते क्योंकि ऐसे नाकाम आतंकवादी भारत ही भेज सकता है तब क्या होगा यदि उसने किसी तिवारी, चौबे, मौर्या, सिंह का नकली पासपोर्ट बना कर ये सिद्ध कर दिया कि ये गोंडा या या छपरा के रहने वाले थे तब क्या होगा ................... खुदा खैर करे

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