आज़ पूरे विश्व मे बर्लिन की दीवार को गिराने की 20 वी वर्ष गाठ मनाईं जा रही है वहीँ यह खबर भी आयी कि महाराष्ट्र विधानसभा मे अबू आजमी को हिन्दी मे शपथ लेने के कारण म न से के विधायक गणो ने हन्गामा किया तथा उन्हे हिंदी मे शपथ लेने पर टोकाटाकी हाथापाई की वैसे अबू आजमी ने भी उन्हे चप्पलें दिखाईं
वैसे मै इन सब नाट्क बाजियो पर प्रतिक्रिया व्यक्त करना समय की बर्बादी मानता हूँ जैसे वन्दे मातरम विवाद हम मे से अधिकाँश को वन्दे मातरम तो दूर सही तरी्के से जन गण मन भी गाने नही आता वे ऐसे लोगो से जिन्हे सद्दाम के कुवैत आक्रमण पर जश्न मनाते तथा सद्दाम की मौत पर शोक मनाते देखा है लेकिन तालिबानो के आक्र्मण पर कभी छाती पीट्ते नही देखा उनसे वन्दे मातरम गवा कर हम क्या हासिल करना चाहते है ? पता नही महाराष्ट्र का यह नाटक हिन्दी विरोध का था या अबू आज्मी का विरोध / सम्भव है वन्दे मातरम को ना गवाने की झुंझलाहट मे अबू आजमी को लपेट लिया गया हो वैसे इस पार्टी ने अपने नाम मे निर्माण व सेना जैसे हिन्दी शब्दों का प्रयोग क्योन कर रखा है यदि मराठी भाषा मे कोई अन्य शब्द हो तो उसका प्रयोग करना चाहिये क्योंकि इन शब्दबोधन से पार्टी ही दोगली लगने लगती है उसी प्रकार से विधायक राम कदम को भी अपना व अपने पूर्वजों का नाम शुद्धिकरण कर मराठी भाषा मे परिवर्तित कर लेनी चाहिये उत्तर भारतीय हिन्दी नामो के परित्याग से ही तन मन व सभी तंत्रिकाएं शुद्धरूप हो सकेगी वैसे भी हमे यह तो मानना ही पडेगा कि एक राष्ट्र के भीतर एक महाराष्ट्र है तो जहिर है कुछ विसंगतियों को तो देखना हमारी नियति ही है वैसे भी मुझे लगता है कि कुछ दिनो के बाद हम सम्विधान की कसम खाने पर भी विवाद देखेंगे तथा एक याचिका के फ़ैसले के बाद विधायको को यह छूट मिल जायेगी कि वह अपनी मनःसृष्ट भाषा मे किसी कहानी जैसे अलीबाबा और … या बाबा भंजक नाथ के नाम पर शपथ ले सकते है बर्लिन की दीवार भले टूट ज़ाये परंतु बोलीवुड की यह दीवार काफ़ी लम्बे समय तक महाराष्ट्र मे हाउस फ़ुल शो दिखाने वाली है जै महाराष्ट्र
हिंदुस्तान की सरजमीं पर हिंदी बोलने पर पीटने की घटना का जिक्र तो आज तक जम्मू-कश्मीर में भी सामने नहीं आया है।
राज ठाकरे आगे बढ़ो, सब मराठी साथ है !
तुमच्य सर्व आमादारंचे अभिनंदन!!!!
नोट ऊपर के चित्र के रचनाकारों के आद्याक्षर कार्टूनों में अंकित है ऐसे चित्र उन्ही की संपत्ति है साभार प्रकाशित करना विवशता में हुआ है इनके चित्र को इनका महिमामंडन न माना जाए
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