शुक्रवार, 21 अगस्त 2009

परदेसियों से न ओठवा मिलाना



पुरानी फ़िल्म का ये गाना कुछ संशोधन के साथ गाने से स्वाइन फ्लू से बचाव संभव है विदेशियों से ज्यादा प्रेम चूमा चाटी से अपुन को ही खतरा ही खतरा है मुझे तो मनमोहन सिंह तक ये बात किसी तरह से पहुंचानी है की विदेशियों से थोडी दूरी बना कर ही रहने में सदा फायदा है आपने कहा था कि बुश को पूरा भारत प्यार करता है प्यार करे पर अपने देश को देश के नेता से यदि विदेशी नेता या नेत्री के चक्कर में पडोगे तो वही हाल होगा जो जसवंत सिंह को हुआ
जिन्ना फ्लू ने जान तो बख्श दी किंतु रातोरात योनि परिवर्तन कर जसवंत को हनुमान (वानर योनि ) से रावण (राक्षस योनि ) में बदल डाला मैं तो इस बयान को पढ़ कर चकित हो गया आख़िर ये हनुमान थे तो जामवंत की ताजपोशी में क्यों जुटे हुए थे जामवंत की देखा -देखी जिन्नाह जैसे यक्ष की प्रशंशा करोगे तो यही सब होगा न
भा जा पा में सीता के पास हनुमान क्यों नही जाते इसलिए की राम नाथ क्षमा करें स्वयं राज नाथ की यह राजाज्ञा थी लेकिन सीता कहाँ है तथा हनुमान क्यों नहीं सीता को लेकर भीष्म पितामह के पास क्यों नही जाते या क्यों नहीं घोषणा कर देते कि वे राज चरित मानस भी लिखने वाले हैं पर ये सीता कौन हैं ?? ये सवाल अनुत्तरित ही है कहीं ऐसा तो नहीं कि सीता को भी निकाल कर शूपर्ण नखा कि सत्ता चल रही हो शुपर्ण नखा से स्वाइन फ्लू कि फ़िर याद आ गई
फ़िर विदेशियों से किस न करने कि बात पर लौटें वास्तव में इनसे दूर रह कर आँख लड़ाया तो जा सकता है लेकिन विना किसी मास्क या साधन प्रयोग किए इनसे अंतरंगता दिखाना खतरनाक ही है बल्कि आत्म घातक ही है
ये विष कन्याये या पुरूष तो वाइरस पुरूष व कन्या निकली देखें चित्र व विश्वास करे मानवों में ऐसे ही स्वाइन फ्लू के वाइरस सुवरों से आते हैं सो विदेशियों से ओठ मिलाना छोडिए देशी अपनाइए एन आर आई से भी दूरी बना कर रहिये भले ही वो कितना ही सजीला गठीला सुवर कि तरह हृष्ट पुष्ट क्यों न हो उससे विवाह की बात तो सोचना ही पाप है हे शिव इस नगरी में पर्यटकों से आयातित इस गिफ्ट आइटम व गर्ल्स से सभी को बचाना तेरा ही सहारा है

5 टिप्‍पणियां:

शोभना चौरे ने कहा…

steek aalekh .
abhar

Arvind Mishra ने कहा…

जोरदार ! जमाये रहिये !

Mumukshh Ki Rachanain ने कहा…

परदेशियों से....................
धारदार व्यंग
शशक्त रचना पर बधाई.

बेनामी ने कहा…

Aapka blog bahut achchha lagaa.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को प्रगति पथ पर ले जाएं।

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी ने कहा…

आजकल भाजपाइयों से मजे लेने के दिन आ गये हैं। वाह रे राजनाथ, तू इस पार्टी को किस रसातल में ले जा रहा है...?
अटल जी के बाद अब कोई नहीं रहा। सब सूअर टाइप बिमारी बढ़ाने लगे हैं।