मेरे पुराने मित्र ने अपने क्वचिदन्न्योपि नामक चिट्ठे पर कुछ इस अंदाज से मेरी चर्चा की , कि मुझे भी कुछ दिनोंतक व्यामोह हुआ कि मैं रसिकप्रिय तथा आधुनिक सन्दर्भों में कुछ कुछ हृतिक रोशन जैसा हूँ लेकिन कुछ दिनों केचिंतन के बाद मुझे ऐसा लगा कि भाई अरविन्द जी को यह सब कुछ मेरे ब्लाग पर सुंदरी के लगे चित्र तथा गे आदिपर छपे लेख से ऐसा भ्रम हो गया
वैसे मैंने इस विषय पर अपनी टिप्पणी से अवगत करा दिया है रही बात सुंदरी के चित्र की तो निजी जीवन मेंअहिंसा का संदेश देने का इससे सबल क्या उदाहरण क्या होगा सुंदर चीजो के देखने मात्र से औरों में प्रेम व अहिंसाका ही भाव जगता है इसी लिए तो स्त्री पुरूष अपने को सजाते संवारते हैं अब मैं तो यही चाहता हूँ कि चहुँ दिश् प्रेम फैले हो सकता है इसी बात पर मुझे शान्ति का कोई पुरस्कार ही मिलजाए
अब ये भी कोई बातहुई कि जीवन कि निस्सारता को लेकर मुंह लटकाए बैठे हैं बकौल अकबर इलाहाबादी
गुजर कि जब न हो सूरत गुजर जाना ही बेहतर है
हुई जब जिंदगी दुश्वार , मर जाना ही बेहतर है
अब फ़िर इसी सुंदरी के चित्र पर फ़िर लौटता हूँ क्या ये जीवन में आशा का संचार नहीं भरती कि जीवन में इतनीनिराशा न भरो जितनी वास्तव में है इस आभासी ब्लाग जगत के विचरण में कुछ पल तो सुख के बिता लिया जाएवरना जीवन क्या है बुद्ध ने दुखमय कह कर किनारा कर लिया लेकिन संस्कृत के एक श्लोक जो भर्तिहरि ने लिखा हैवास्तव में सही चित्रण करता है बानगी देखें
क्वचिद्विद्वदगोष्ठि क्वचिदपि सुरमात्तकलहः|
क्वाचिदवीणानादः क्वचिदपि च हा हेति रुदितम |
क्वचिद्रम्या रामा क्वचिदपि जराजर्जरतनु ...
नॄं जाने संसारः किममॄतमयः किं विषमयः || भर्तिहरि
अर्थात कहीं विद्वानों कि गोष्ठी होती है तो कहीं मदोन्म्मत लोगो का उधम दिखाई देता है कहीं वीणा का नाद सुनाई देरहा है , तो कहीं हाहाकार के साथ क्रंदन | कहीं सुंदरी रमणी और कहीं जरा जीर्ण शरीर वाले मिलते हैं | पता नहींयह संसार अमृतमय है या विषमय |
तो ये गूढ़ असार संसार में शोक या हर्ष दोनों सत्य नहीं है पर मित्र ,जब ईश्वर ही सद् चित आनंद है तो हम सब उसईश्वर के अंश अपने छोटे से जीवन में सुख व आनंद को क्यों न तलाश लें भले वह आनंद सुंदरी के चित्र से ही मिलजाए, हो सके तो यही दर्शन अपनाए व सुखी रहे जहाँ से कोई छोटा सा भी सुख का कण मिले उठा ले दूसरो में बांटे वउसको भी आनंदित करें
संस्कृत में लिपि कि त्रुटी हुई हो तो सुधिजन क्षमा करेंगे
3 टिप्पणियां:
इस सुनदर सी पोस्ट के लिए आभार -मन मुदित हो गया -श्लोक याद कर रहा हूँ !
हमें तो सुन्दर सी फ़ोटो अच्छी लगती है। आप लगाये रहें!
गुरु देव ,मैं इतना संस्कृताचार्य तो नहीं हूँ कि इन गूढ़ श्लोकों का अर्थ समझ सकूं .लेकिन इतना ज़रूर है कि यदि आप में ऋतिक रोशन कि आत्मा जोर मार रही है तो हमें अपने आप पे शर्म आनी चाहिए .आखिर उम्र भी तो कोई चीज़ होती है ............
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