गुरुवार, 30 अप्रैल 2009

चिरकुट घोषणाओ की लस्सी मत पिलाईये

इन दिनों जहाँ भारत में दिनों दिन तापमान बढ़ रहा है उसी प्रकार से चुनावी गर्मियों को देख कर घॉषणाओ की ठंढी लस्सी फेंटना शुरू हो गया है जिधर देखिये उधर ही कोल्ड ड्रिंक व ताजगी वाले शरवत तैयार हैं जैसे एक ने फेंका की हम अगर सत्ता में आ गए तो चावल ५ रुपये किलो बेचेंगे , झूले लाल की कसम यह ५ रुपये वाला चावल भारत के किस खेत में पैदा होगा जहाँ से खरीदोगे चाचा चौधरी के डुप्लीकेट क्या तुंहारा दिमाग भी कम्पूटर से तेज चल रहा है
एक और बयान आया की आतंकवाद से सामना करने के लिए हम सेना को पकिस्तान की छाती में खंजर भोंकने के लिए भेज देंगे
अरे प्यारे लाल आर पार की लड़ाई में सेना को सीमा पर तैनात करके किस पंडित के शकुन का इन्तेजार कर रहे थे क्या सीमा वर्ती खेतों में लीद करने व कम्पोस्ट खाद बनने के लिए आपने सेना तैनात की थी कोई भी सैनिक कारवाही ऐसे होती है क्या आप इस बार जरदारी से तारीख पूछ कर जाना पब्लिक को जोनसन बेबी पावडर वाला बच्चा समझ रखा है क्या जो उसके मुंह में प्लास्टिक की चूसनी थमा रहे हो
माचिस की तीली पर नेता इन दिनों शेर को खड़ा करने का ख्वाब व तिलिस्म दिखा रहे है आई पी एल में सिक्सार भी इतना नहीं जाता जितनी ये फेंक रहे हैं अपने वादों की काली चादर लपेटो और दफा हो जावो पब्लिक को आलपिन से आमलेट खाने की बात न बतावो आलपिन मुंह में ही चुभेगी ये पिन आपके प्रवक्तावों को ही मुबारक हो दांत निपोरना बंद करो, ये मत भूलो की जनता असिक्षित भले ही हो लेकिन बेवकूफ नहीं इन्ही असिक्षितों ने ही कई बार चुनावों में इन पार्टयों के हसीं सपनों की हवा निकाल दी है जिस दिन शिक्षित लोगों का प्रतिशत वोट में तब्दील होगा उस दिन का नजारा क्या होगा पार्टी वालों तुम्हारे ये सारे गुब्बारे बिना हवा फूंके ही फूस हो जायेंगे

नजर लगी राजा ७ रेस कोर्स बंगले पर

प्रधान मंत्री के बंगले पर अनेक जीवो परजीवो
परभक्षियों जन व धन भक्षियों की नजर लग गई है कि ए दिन कोई न कोई बयां आते रहते हैं इसी बंगले के आस पास मलाई कि आस में एक बिल्ली भी घूम रही है यह बिल्ली मानती है कि दूध की हांडी में मुंह डालने के लिए यह कोई जरूरी नहीं कि आप गाय भैंस पालो ही , मलाई पर हक चतुर बिल्ली का ही होता है
उत्तर प्रदेश में ऎसी मलाई कई बार बी जे पी और समाजवादी पार्टी के गाय भेड़ों के दूध से चख चुकी इस बिल्ली को छीका टूटने व मलाई की सुगंध आ रही है लेकिन पार्टियाँ सतर्क हैं क्योंकि वह सत्ता की हांडी चौराहे पर फुड्वाना नहीं चाहती हैं जैसा कि बी जे पी व स पा ने देखी है वैसे इन दिनों खिसियानी बिल्ली ने चुनाव आयोग का ही खम्बा नोचना शुरू कर दिया है भइया नवीन चावला को २४ घंटे भी नहीं हुए थे आफिस में बैठे कि बिल्ली ने गुर्राना शुरू कर दिया कि चावला नहीं चाहते कि उनके हाथ में सत्ता आए
और दो साल पहले चुनाव आयोग निस्पक्ष होता तो उसे १०० सीटें और मिलती
आज फतह बहादुर और डी जी पी के हटाये जाने पर इतनी नाराजगी कि बिना कारण इन आदरणीय बहादुर अफसरों को क्यों हटा दिया गया किंतु वह शायद भूल रहीं है कि २००४ के चुनावों में जब मुख्या सचिव वाजपेयी व
डी जी पी को हटाया गया तो सबसे पहले बधाई इन्होने ही चुनाव आयोग को दिया था जहाँ तक कारणों का प्रश्न है मंच से अधिकारीयों के निलंबन कि सीधे घोषणा कसे होती है तथा कैसे तालियों के बीच ही ये घोषणा हो जाती है ये तो नियुक्ति सचिव श्री ..... बाज बहादुर अवश्य जानते होंगे , आज अपने पर आई तो संविधान व विधान कि याद आने लगी
जीभ लपलपाना छोड़ दो छीका अभी दूर है बिल्लो रानी

बुधवार, 29 अप्रैल 2009

क्या हम नाकाम राष्ट्र नहीं है किन्ही अर्थो में ?????

इन दिनों लोकतंत्र को मजबूत करने के नाम पर चुनाव हो रहे हैं लोकतान्त्रिक या यूँ कहे खालिस तांत्रिक प्रक्रिया शुरू हो गई हैं दो दौर के चुनाव में दर्जन भर से अधिक जवान नक्सली हिंसा की बलि चढ़ चुके हैं संसद पर हमला करने वालों को तो राजनितिक दल गरिया कर अपनी भडास मिटा दे रहे हैं लेकिन इन शहीदों के बारे में कोई पार्टी दल सरकार और सारी मशीनरी यह कह कर ही खुश है की अबकी सुरक्षा में पहले के मुकाबले कम हिंसा हुई है
अर्थात लोकतंत्र के तंत्र में इन जवानों और मासूमो की बलि देना सामान्य घटना है
देश के सारे जिलों में से १३% जिले नक्सल प्रभावित हैं जहाँ कुछ दृष्टि से सामानांतर सस्र्कार ही चल रही है सामान्य प्रशासन लुंज पुंज है तभी तो लातेहार में रेल गाड़ी बंधक हो जाती है और अपनी मर्जी से छोड़ दी जाती है
क्या लोकतंत्र से नाराज देश के सीधे सादे लोग जिनकी कोई बड़ी राज नीतिक आकंक्षाये भी नहीं है इस कदर हमने अपनी नालायाकियों और शोषण से उन्हें हथियार उठाने को क्यों मजबूर कर दिया है ??
इस पर केन्द्र और राज्य सरकारों का नजरिया भिन्न भिन्न है लेकिन एक बात तय है और मैं १०० % दावे के साथ कह सकता हूँ कि प्रशाशनिक पुलिस और वन बिभाग कि ज्यादतियों तथा शोषण के शिकार ये जन जातियां यदि हथियार उठा रहीं है तो कोई ग़लत नहीं कर रहीं है
मेरे जनपद के आस पास का इलाका भी नक्सल प्रभावित है सरकारी योजनायें खास तौर से केन्द्रीय योजनायें चल रहीं है लेकिन इसे लागु करने वाले अधिकारी आकंठ भ्रष्टाचार में दुबे हुए हैं नक्सल हिंसा के नाम पर कोई अधिकारी जमीनी हकीकत को जानने के लिए इन क्षेत्रो में जाना नहीं चाहता कागज पर कुएं हैण्ड पम्प गड़ रहे हैं लोगो का जीवन स्तर सुधारा जा रहा है अधिकारी इन कामगारों के श्रम मूल्य को भी हड़प जा रहे हैं अंग्रेजों ने भी इतनी लूट खसोट इन आदिवासियों का नही किया जितने इन देशी पिल्लों ने कर डाला है
विदेशों में जमा काला धन कि चर्चा बहुत हो रही है लेकिन इन क्षेत्रो में काम कर रहे पाखण्ड विकास अधिकारीयों तथा अन्यान्य जन कल्याण कारी गतिविधियों में तल्लीन अधिकारीयों के बीबी बच्चों के नाम से अकूत संपत्ति कहाँ से जमा हो रही है इसकी सुधि कौन लेगा पोश इलाकों में जब इन पाखंडी अधिकारीयों विधायकों के घर साईं बाबा कि मूर्ति और बुद्ध और अम्बेदकर कि मूर्तिया देखता हूँ तो इच्छा यही होती है कि इन कमला विमला सदन कि कमला व विमला को इन नक्सलियों के अड्डे पर भेज दिया जाए तो पता चले कि जिंदगी क्या होती है
हम पाकिस्तान को नाकाम राष्ट्र घोषित करने पर खुश हो रहे है जब कि हमारे घर में लोकतंत्र कि हत्या दिन प्रति दिन हो रही है और आबादी कि इतनी बड़ी संख्या इस कदर नाराज है कि जवानों कि देश में इतनी निर्मम हत्या चुनाव के दिन हो रही है और हम खुश है कि इस बार हिंसा कम हुई है
इस कदर सम्वेन्हीनाता और संवादहीनता से कहीं इस देश की हालत नेपाल जैसी न हो जाए मुझे ये डर सताता है इस विषय पर तमाम राजनितिक दलों की कोई सकारात्मक पहल इसे और चिंता जनक बना रही है