इन दिनों जहाँ भारत में दिनों दिन तापमान बढ़ रहा है उसी प्रकार से चुनावी गर्मियों को देख कर घॉषणाओ की ठंढी लस्सी फेंटना शुरू हो गया है जिधर देखिये उधर ही कोल्ड ड्रिंक व ताजगी वाले शरवत तैयार हैं जैसे एक ने फेंका की हम अगर सत्ता में आ गए तो चावल ५ रुपये किलो बेचेंगे , झूले लाल की कसम यह ५ रुपये वाला चावल भारत के किस खेत में पैदा होगा जहाँ से खरीदोगे चाचा चौधरी के डुप्लीकेट क्या तुंहारा दिमाग भी कम्पूटर से तेज चल रहा है
एक और बयान आया की आतंकवाद से सामना करने के लिए हम सेना को पकिस्तान की छाती में खंजर भोंकने के लिए भेज देंगे
अरे प्यारे लाल आर पार की लड़ाई में सेना को सीमा पर तैनात करके किस पंडित के शकुन का इन्तेजार कर रहे थे क्या सीमा वर्ती खेतों में लीद करने व कम्पोस्ट खाद बनने के लिए आपने सेना तैनात की थी कोई भी सैनिक कारवाही ऐसे होती है क्या आप इस बार जरदारी से तारीख पूछ कर जाना पब्लिक को जोनसन बेबी पावडर वाला बच्चा समझ रखा है क्या जो उसके मुंह में प्लास्टिक की चूसनी थमा रहे हो
माचिस की तीली पर नेता इन दिनों शेर को खड़ा करने का ख्वाब व तिलिस्म दिखा रहे है आई पी एल में सिक्सार भी इतना नहीं जाता जितनी ये फेंक रहे हैं अपने वादों की काली चादर लपेटो और दफा हो जावो पब्लिक को आलपिन से आमलेट खाने की बात न बतावो आलपिन मुंह में ही चुभेगी ये पिन आपके प्रवक्तावों को ही मुबारक हो दांत निपोरना बंद करो, ये मत भूलो की जनता असिक्षित भले ही हो लेकिन बेवकूफ नहीं इन्ही असिक्षितों ने ही कई बार चुनावों में इन पार्टयों के हसीं सपनों की हवा निकाल दी है जिस दिन शिक्षित लोगों का प्रतिशत वोट में तब्दील होगा उस दिन का नजारा क्या होगा पार्टी वालों तुम्हारे ये सारे गुब्बारे बिना हवा फूंके ही फूस हो जायेंगे
1 टिप्पणी:
बढियां चुनावी चिंतन !
एक टिप्पणी भेजें