मैं हिन्दू हूँ, जी हाँ एक हिन्दू,
कुछ गलत रुढ़ियों एवं प्रथाओं का एक बिन्दु,
हाँ मैं एक हिन्दू।
ना-ना-ना,
हिन्दू तक तो ठीक था, पर जानते नहीं,
मैं हिन्दू में ही हूँ, ब्राह्मण, पंडित, चंदनधारी,
अच्छे कर्मों का अधिकारी।
छूना मत मेरा भोजन वर्ना वह अपवित्र कहलाएगा,
मैं रह जाऊँगा भूखा-भूखा, जानते नहीं,
तुझे मेरा भोजन छीनने का पाप लग जाएगा।
मैं भी जानता हूँ, इस अन्न को तूने ही उगाया है,
कूट-पीसकर चावल बनाया है,
ये मिर्च व मसाले हैं तेरे खेत के,
नमक को भी तूने ही सुखाया है।
जहाँ तक है इस बरतन का सवाल,
तूने ही दिया इसको यह आकार।
कुछ भी हो तुम क्षुद्र ही तो हो,
पर मैं तुमसे ऊँचा हूँ, ब्राह्मण हूँ।
ये ठीक है इस कूप को खोदने में,
हर जीव को जल देने में,
तूने खून-पसीना एक किया,
पर अब अपना लोटा डुबा,
इस वक्त इसे ना करो अपवित्र,
पहले मुझे जल भर लेने दो,
हींकभर पी लेने दो, वर्ना
मैं जल बिन मीन हो जाऊँगा।
देखो कितनी तेज बारिश है,
मैं भीग रहा हूँ, निकलो झोपड़ी से बाहर,
मैं कैसे बैठूँ तेरे साथ, अपवित्र हो जाऊँगा।
ब्राह्मण हूँ।
मैंने कब कहा कि ये कपड़े,
जो मैंने पहने हैं, तूने नहीं बनाए,
अरे साफ कर दिए तो क्या हुआ,
यह अपवित्र हुआ ?
पर मेरे छूने से पवित्र हुआ,
मैं इतना देखता चलूँ तो पागल हो जाऊँगा,
देख ! इसे अब मत छूना, मैं ब्राह्मण हूँ।
आओ बैठो पैर दबाओ, थोड़ा ठंडा तेल लगाओ,
करो धीरे-धीरे मालिश, दूँगा तूझे ढेर आशीष,
पर तुम मुझको छूना नहीं, अपवित्र हो जाऊँगा।
ब्राह्मण हूँ।
मैं मानता हूँ, तेरे बिन मैं जी नहीं सकता,
हर वक्त, हर क्षण मुझे तेरी जरूरत है,
जबतक तू ना देता बनाकर शादी का डाल,
नहीं हो सकता मेरा शुभविवाह।
पर मैं तुमसे ऊँचा हूँ, ब्राह्मण हूँ।
मेरी माँ भी कहती थी, मेरे पैदा होने के वक्त,
तू माँ के पास रह रही थी, अरे यह क्या ?
मेरे जमीं पर गिरने के वक्त तो,
माँ दर्द से छटपटा रही थी,
उस समय तू मुझे सीने से लगाए,
प्रेम से चूमचाट रही थी।
पर देख अब मुझे मत छूना, ब्राह्मण हूँ।
मैंने धारण किए जनेऊ, माथे पर चंदन,
करूँगा प्रभु का पूजन,
पर तू कर पहले मेरा पूजन,
मैं ब्राह्मण हूँ।
मैं स्पष्ट कहता हूँ,
तेरी कृपा से ही जिंदा रहता हूँ,
पर इससे क्या, यह तेरा एहसान नहीं,
मेरा ही एहसान है तुझपर।
मैं ब्राह्मण हूँ, हूँ, हूँ। छूना मत।
अपवित्र हो जाऊँगा।
* original poem by k. p saxena "doosre"
बुधवार, 30 जनवरी 2008
सोमवार, 28 जनवरी 2008
अमिताभ की बात
आज अखबारों में खबर छपी है कि बिग बी ने अपनी बहु ऐश्वर्या के नाम से महिला डिग्री कालेज का भूमि पूजन किया है बाराबंकी मी जमीन के मामलें मी किरकिरी कराने के बाद यह विचार कहाँ से आ गया सोचने कि बात है
बिग बी कहलाने वाले महानायक ?(किस रुप में पता नहीं ) ने आज तक समाज के लिए क्या योगदान किया है यह तो वह खुद ही बता सकते हैं सुनामी में भी उनका रिलीफ फंड में कोई दान का किस्सा सुनाने में नही आता तो अमर सिंह के जन्म दिन पर यह शुभ काम का ख्याल कैसे आ गया ? बहु कि प्रतिक्रिया सटीक है अछा होता यदि यह स्कूल हरी वंश जी या तेजी बच्चन के नाम पर रहता क्या जबाब है किन्तु बिग बी के तो पिता तुल्य मुलायाम है भाई अमर हैं तो पुरखो का नाम कैसे याद आता खैर आशा करनी चाहिऐ कि मुलायम के जन्म दिन पर कोई और नेक काम बिग बी के द्वारा हो !! लेकिन ये चार चार एक्स cm क्या कर रहे थे वहाँ । जहाँ चार यार मिल जाएँ .....
बिग बी कहलाने वाले महानायक ?(किस रुप में पता नहीं ) ने आज तक समाज के लिए क्या योगदान किया है यह तो वह खुद ही बता सकते हैं सुनामी में भी उनका रिलीफ फंड में कोई दान का किस्सा सुनाने में नही आता तो अमर सिंह के जन्म दिन पर यह शुभ काम का ख्याल कैसे आ गया ? बहु कि प्रतिक्रिया सटीक है अछा होता यदि यह स्कूल हरी वंश जी या तेजी बच्चन के नाम पर रहता क्या जबाब है किन्तु बिग बी के तो पिता तुल्य मुलायाम है भाई अमर हैं तो पुरखो का नाम कैसे याद आता खैर आशा करनी चाहिऐ कि मुलायम के जन्म दिन पर कोई और नेक काम बिग बी के द्वारा हो !! लेकिन ये चार चार एक्स cm क्या कर रहे थे वहाँ । जहाँ चार यार मिल जाएँ .....
कैलाश गौतम की कवितायेँ
अच्छा है संसार में यह किस्मत का खेल
कातिल को कुर्सी मिले फरियादी को जेल
सब कुछ उल्टा हो गया आज कार्य व्यापार
थाने मी जन्माष्टमी आश्रम में हथियार
दूध दुहे बलता भरे गए शहर की ओर,
दिन डूबा दारू पिए लौटे नन्द किशोर
गाँधी लोहिया जे पी करते पश्चाताप,
कैसे अनुयाई हुए अरे बाप रे बाप
बिके हुए है लोग ये कैसे करे विरोध ,
कभी आपने सुना है हिजड़ा और विरोध
भ्र
कातिल को कुर्सी मिले फरियादी को जेल
सब कुछ उल्टा हो गया आज कार्य व्यापार
थाने मी जन्माष्टमी आश्रम में हथियार
दूध दुहे बलता भरे गए शहर की ओर,
दिन डूबा दारू पिए लौटे नन्द किशोर
गाँधी लोहिया जे पी करते पश्चाताप,
कैसे अनुयाई हुए अरे बाप रे बाप
बिके हुए है लोग ये कैसे करे विरोध ,
कभी आपने सुना है हिजड़ा और विरोध
भ्र
मंगलवार, 8 जनवरी 2008
some funny definition
Some Good jokes
Different Phases of a man:
After engagement: Superman
After Marriage: Gentleman
After 10 years: Watchman
After 20 years: Doberman
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There is only one perfect child in the world and every mother has it.
There is only one perfect wife in the world and every neighbor has it
------------ --------- --------- --------- --------- --------- --------- -----
Prospective husband: Do you have a book called "Man, The Master of
Women"?
Sales girl: The fiction department is on the other side, sir.
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The world's thinnest book has only one word written in it:
"Everything"
and the book is titled: "What Women Want!"
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A man who surrenders when he's WRONG, is HONEST.
A man who surrenders when he's NOT SURE, is WISE.
A man who surrenders when he's RIGHT, is a HUSBAND
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Girlfriends r like chocolates, taste good anytime.
Lovers r like PIZZAS, Hot n spicy, eaten frequently.
Husbands r like Dal RICE, eaten when there`s no choice
------------ --------- --------- --------- --------- --------- --------- -----
Man receives telegram: Wife dead-should be buried or cremated?
Man: Don't take any chances. Burn the body and bury the ash.
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Q: Why dogs don't marry?
A: Because they are already leading a dog's life!
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Fact of life: One woman brings you into this world crying & the
other ensures you continue to do so for the rest of your life!
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Q: Why doesn't law permit a man to marry a second woman?
A: Because as per law you cannot be punished twice for the same
offence
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What men want: A woman who can cook, a woman who earns good money, a
woman who loves him & a system to make sure that those 3 women never
meet each other!
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Lady 2 her maid: Oh Kanta, I have reason to suspect that my husband
is having an affair with his secretary."
Kanta : I don't believe it! U r just saying that 2 make me jealous!"
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Man: I want a divorce. My wife hasn't spoken to me in six months.
Lawyer: Better think it over. Wives like that are hard to get!
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The bride, upon her engagement, went to her mother & said, "I've
found a man just like father!"
Mother replied, "So what do u want from me,
sympathy?"
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__,_._,___
Different Phases of a man:
After engagement: Superman
After Marriage: Gentleman
After 10 years: Watchman
After 20 years: Doberman
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There is only one perfect child in the world and every mother has it.
There is only one perfect wife in the world and every neighbor has it
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Prospective husband: Do you have a book called "Man, The Master of
Women"?
Sales girl: The fiction department is on the other side, sir.
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The world's thinnest book has only one word written in it:
"Everything"
and the book is titled: "What Women Want!"
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A man who surrenders when he's WRONG, is HONEST.
A man who surrenders when he's NOT SURE, is WISE.
A man who surrenders when he's RIGHT, is a HUSBAND
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Girlfriends r like chocolates, taste good anytime.
Lovers r like PIZZAS, Hot n spicy, eaten frequently.
Husbands r like Dal RICE, eaten when there`s no choice
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Man receives telegram: Wife dead-should be buried or cremated?
Man: Don't take any chances. Burn the body and bury the ash.
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Q: Why dogs don't marry?
A: Because they are already leading a dog's life!
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Fact of life: One woman brings you into this world crying & the
other ensures you continue to do so for the rest of your life!
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Q: Why doesn't law permit a man to marry a second woman?
A: Because as per law you cannot be punished twice for the same
offence
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What men want: A woman who can cook, a woman who earns good money, a
woman who loves him & a system to make sure that those 3 women never
meet each other!
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Lady 2 her maid: Oh Kanta, I have reason to suspect that my husband
is having an affair with his secretary."
Kanta : I don't believe it! U r just saying that 2 make me jealous!"
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Man: I want a divorce. My wife hasn't spoken to me in six months.
Lawyer: Better think it over. Wives like that are hard to get!
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The bride, upon her engagement, went to her mother & said, "I've
found a man just like father!"
Mother replied, "So what do u want from me,
sympathy?"
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सोमवार, 7 जनवरी 2008
स्त्री मुक्ति चर्चा
स्त्री पुरुष संबंधो पर राजेंद्र यादव की बेलाग टिप्पणियो ने हिन्दी जगत में हमेशा तूफान खड़ा किया है पर उनकी बातें हमेशा सोचने को विवश करती हैं
१ स्त्री को हजारो साल से देह के सिवा कुछ नहीं माना गया सारे साहित्य कलाओं में स्त्री के सारे उपमान कुच- नितम्ब -कटि के ही मिलेंगे बहुत कम जगह स्त्री के मन की बात की गयी है जब तक स्त्री अपनी देह से बाहर नही निकलेगी उसके बारे मी खुद फैसला नहीं लेटी तब तक उसकी मुक्ति का कोई अर्थ नहीं है
२ - पुरुष ने divide and rule का पहला प्रयोग स्त्री पर ही किया इससे एक हिस्सा दुसरे हिस्से पर शासन करने में मदद करता है हमनें स्त्री को दो हिस्सों में बांटा है स्त्री कमर से उपर आनंद है कविता है कमर से नीचे स्त्री नरक का द्वार है
३- मूलतः पुरुष स्त्री से डरता है इसी लिए उसके बारे में अजीब कल्पनाएँ गढ़ता रहता है जैसे स्त्री सुपर सेक्स है स्त्री मे काम वासना आदमी से आठ गुना ज्यादा होती है पुरुष स्त्री को संतुष्ट नहीं कर सकता है इसी लिए वोह उसे कुचलता रहता है आज तक आपने कभी स्त्री की काम वासना बढ़ाने के लिए दवाओं का विज्ञापन देखा है इन्टरनेट की कुछ साइट्स अपवाद हो सकतीं
स्त्री वास्तव में हमारे लिए आज भी देह पहले है कुछ और बाद में हम उसके अंगो के लिए क्या क्या उपमानों का प्रयोग करते हैं संस्कृत में पिन पयोधरा ,बिम्बधारी क्षीण -कटी बिल्व - स्तनी सुभगा आदि
सारी संस्कृति सारी नैतिकता सारा धर्म स्त्री की देह पर ही आकर क्यों टिका हुआ है अजीब बात है स्त्री का जरा सा सरीर दिख जाए तो अश्लील है ग़लत है संस्कृति के खिलाफ है सारा धर्म और संस्कृति का ठेका सिर्फ़ स्त्री देह के ही इर्द गिर्द क्यों घूमता है समझ में नहीं आता कभी किसी पुरूष के लिए किसी ने नहीं कहा की उसकी इस हरकत से संस्कृति खतरे में है अगर आदमी बाजार में दीवार के सहारे जिप खोल कर खड़ा हो जाए तो कोई बात नहीं किंतु यदि किसी मजबूरी में औरत येही काम छिप कर भी करे तो अश्लील घनघोर अश्लील यदि आँचल से दूध पीते हुए बालक ने जरा सा आँचल हटा दिया तो स्त्री बदचलन और अश्लीलता की वाहक हो जाती है
कृपया इस पर विचार करें की ये दोहरी मानसीकता कब तक चलेगी
१ स्त्री को हजारो साल से देह के सिवा कुछ नहीं माना गया सारे साहित्य कलाओं में स्त्री के सारे उपमान कुच- नितम्ब -कटि के ही मिलेंगे बहुत कम जगह स्त्री के मन की बात की गयी है जब तक स्त्री अपनी देह से बाहर नही निकलेगी उसके बारे मी खुद फैसला नहीं लेटी तब तक उसकी मुक्ति का कोई अर्थ नहीं है
२ - पुरुष ने divide and rule का पहला प्रयोग स्त्री पर ही किया इससे एक हिस्सा दुसरे हिस्से पर शासन करने में मदद करता है हमनें स्त्री को दो हिस्सों में बांटा है स्त्री कमर से उपर आनंद है कविता है कमर से नीचे स्त्री नरक का द्वार है
३- मूलतः पुरुष स्त्री से डरता है इसी लिए उसके बारे में अजीब कल्पनाएँ गढ़ता रहता है जैसे स्त्री सुपर सेक्स है स्त्री मे काम वासना आदमी से आठ गुना ज्यादा होती है पुरुष स्त्री को संतुष्ट नहीं कर सकता है इसी लिए वोह उसे कुचलता रहता है आज तक आपने कभी स्त्री की काम वासना बढ़ाने के लिए दवाओं का विज्ञापन देखा है इन्टरनेट की कुछ साइट्स अपवाद हो सकतीं
स्त्री वास्तव में हमारे लिए आज भी देह पहले है कुछ और बाद में हम उसके अंगो के लिए क्या क्या उपमानों का प्रयोग करते हैं संस्कृत में पिन पयोधरा ,बिम्बधारी क्षीण -कटी बिल्व - स्तनी सुभगा आदि
सारी संस्कृति सारी नैतिकता सारा धर्म स्त्री की देह पर ही आकर क्यों टिका हुआ है अजीब बात है स्त्री का जरा सा सरीर दिख जाए तो अश्लील है ग़लत है संस्कृति के खिलाफ है सारा धर्म और संस्कृति का ठेका सिर्फ़ स्त्री देह के ही इर्द गिर्द क्यों घूमता है समझ में नहीं आता कभी किसी पुरूष के लिए किसी ने नहीं कहा की उसकी इस हरकत से संस्कृति खतरे में है अगर आदमी बाजार में दीवार के सहारे जिप खोल कर खड़ा हो जाए तो कोई बात नहीं किंतु यदि किसी मजबूरी में औरत येही काम छिप कर भी करे तो अश्लील घनघोर अश्लील यदि आँचल से दूध पीते हुए बालक ने जरा सा आँचल हटा दिया तो स्त्री बदचलन और अश्लीलता की वाहक हो जाती है
कृपया इस पर विचार करें की ये दोहरी मानसीकता कब तक चलेगी
गुरुवार, 3 जनवरी 2008
ज़माने की बात
तोड़ने से प्रण पितामह डर रहें हैं
इसलिए शकुनी सियासत कर रहे हैं
राज का खुशहाली का पूछा तो बताया
लोग निष्ठा की तिजारत कर रहें हैं
रोशनी पर तफसरा अन्धो के आगे
आप कैसी हिमाकत कर रहे है
जो छिपे बैठे थे कल तक बीहड़ों में,
आज जलसों की सदारत कर रहें हैं
इस कदर सच बोलना अच्छा नहीं हैं ,
क्यों जमानें से अदावत कर रहे हैं
इसलिए शकुनी सियासत कर रहे हैं
राज का खुशहाली का पूछा तो बताया
लोग निष्ठा की तिजारत कर रहें हैं
रोशनी पर तफसरा अन्धो के आगे
आप कैसी हिमाकत कर रहे है
जो छिपे बैठे थे कल तक बीहड़ों में,
आज जलसों की सदारत कर रहें हैं
इस कदर सच बोलना अच्छा नहीं हैं ,
क्यों जमानें से अदावत कर रहे हैं
जिंदगी का मसला
अधूरेपन का मसला जिन्दगी भर हल नहीं होता ,
कहीं आँखे नहीं होती कहीं काजल नहीं होता
रहे आदत पसीना पोंछने की आस्तीनों से ,
मयस्सर हर घड़ी महबूब का आँचल नहीं होता
अजब सी बात है इस सौ बरस की जिन्दगी मे भी ,
जिसे जिस पल की चाहत है वही इक पल नहीं होता
कहीं आँखे नहीं होती कहीं काजल नहीं होता
रहे आदत पसीना पोंछने की आस्तीनों से ,
मयस्सर हर घड़ी महबूब का आँचल नहीं होता
अजब सी बात है इस सौ बरस की जिन्दगी मे भी ,
जिसे जिस पल की चाहत है वही इक पल नहीं होता
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