सोमवार, 28 जनवरी 2008

कैलाश गौतम की कवितायेँ

अच्छा है संसार में यह किस्मत का खेल

कातिल को कुर्सी मिले फरियादी को जेल



सब कुछ उल्टा हो गया आज कार्य व्यापार

थाने मी जन्माष्टमी आश्रम में हथियार

दूध दुहे बलता भरे गए शहर की ओर,

दिन डूबा दारू पिए लौटे नन्द किशोर

गाँधी लोहिया जे पी करते पश्चाताप,

कैसे अनुयाई हुए अरे बाप रे बाप



बिके हुए है लोग ये कैसे करे विरोध ,

कभी आपने सुना है हिजड़ा और विरोध



भ्र







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