शुक्रवार, 29 फ़रवरी 2008

हिन्दी की दुर्गति

आज हिन्दी भाषा की त्रुटियो से आपको परिचित करना चाहता हूँ हिन्दी को बीर गति पहुँ चाने में सभी हिन्दी प्रेमियो का महती योगदान है प्रस्तुत है कुछ नमूने रेलवे टिकट घर पर लिखा है कृपया टीकट लेने लाइन मी खड़ होयें |मन करता है कि खिड़्की पर बैठे बाबुनुमा जीव को खींच लिया जाय |इसी प्रकार बस स्टेशन पर लिखा हुआ है धम्रपान न करें | जाहिर है धूम्र नही लिखा है तो धूम्र पान से कौन रोक सकता है सौचालय जायें तो सोच सोच कर शौच करना ही पडेगा | महिला मूत्रालय के स्थान पर लिखा है महिला मंत्रालय | यदि कोई विदेशी जिसे हिन्दी आती हो तो वह सोचेगा कि महिलाओ ने इतनी तरक्की कर ली है कि हर बस स्टेशन पर उनका मंत्र्यालय है वैसे नारी सशक्तिकरण में या सेक्सीकरण में ट्रेन के सौचालायो का बहुत योगदान है कुछ लोग तो कला व जीवन कि उत्पत्ति के लिए ही इन जगहों पर कलम व लेखनी से समाज को दिशा दे रहे है | रेल मंत्रालय को लाभ पहुचाने मे इनका भी योगदान महान है |
एक नाटक की समीछा में सूत्रधार के जगह मूत्रधार छाप देने से सहज ही हास्य की उत्पत्ति हो जाती है दो कवियात्रिओं कि तुलना करते हुए लिखा गया कि अमुक का स्तन दूसरे से ऊँचा है तथा विस्तृत है | बाद में ध्यान आता है कि तुलना स्तर की हो रही थी स्तन की नही इसी क्रम बंगाली डॉक्टर का किस्सा बहुत मजेदार है एक बंगाली डॉक्टर महिला मरीज से tung के स्थान पर हमेशा टांग दिखाऊ बोलते थे जब शर्माते हुए महिलाओं ने टांग दिखाने शुरू किए तो उन्होंने सुधार कर जुबान के स्थान पर जोबन दिखाओ कहना सुरु कर दिया तो पिटाई हो गयी | एक बार वह नब्ज पकर कर अपने सहायक से किसी दवा के बारे में पूछते हुए बोले पा गल हो "इशारा था पा गए " पर मरीज घबरा कर बोला पागल नहीं हूँ बुखार हुआ है | हिन्दी माँ के साथ ऐसा बलात्कार के विरूद्ध क्या कोई कानून नहीं बनाना चाहिए