कई दिन पहले दूरदर्शन पर एक फीचर देखने को मिला जिसमे श्री प्रेम जोशी नामक रिटायर्ड व्यक्ति के बृक्ष प्रेम को दिखाया गया था इंदौर मध्य प्रदेश के रहने वाले प्रेम जोशी ने पेडो को बचाने का एक नायब तरीका ढूंढ निकला है
इंदौर में विकास के नाम पर पुराने पीपल बरगद आदि बृक्षों को कटता देख कर जोशी जी ने इन पेडो को काटने के पूर्व ही इंदौर के बाहरी इलाकों में पुनः लगाने यानी retransplant करना शुरू कर दिया इन्होने एक संघठन बना रखा है जिसमे अपने संसाधनों के द्वारा जे सी बी मशीन खरीदी है तथा पेड़ को काटने के पूर्व उसकी बाकायदा पूजा करके उसके भारी वजन आदि को ध्यान में रख कर उसकी डालियों की छंटाई कर उसे जड़ से उखाड़ कर ट्रक्टर पर लाद कर अन्यत्र स्थान पर जिसका चयन वे स्वयं करते हैं वहां इसे पुनः स्थापित कर देते हैं
इस प्रकार इनके द्वारा करीब ११० ऐसे पुराने लगभग १०० - २०० वर्ष पुराने विशालकाय पेडो को बचाया है तथा उन्हें पुनर्जीवित कर इंदौर के बाहरी इलाकों के खाली स्थान पर लगाया है तथा इसके लिए इन्होने शहर में ही कई लोगों को प्रेरित करने का कार्य किया है जो निःस्वार्थ भावः से ये पुनीत कार्य कर रहे हैं , आज जब विकास के नाम पर पेड़ कट रहे हैं तथा उस स्थान पर कोई पेड़ भी नहीं लगता है तथा गर्मी के दिनों में छाया के लिए लोगों को अपने तथा अपनी मंहगी गाड़ियों को किसी ठूंठ से झाडी नुमा कथित पेड़ की आड़ में खड़ा करता देखता हूँ तो मुझे प्रेम जोशी के जज्बे को दाद देने का मन करता है
सड़को को ४ लेन व ६ लेन बनने के नाम पर छायादार वृक्षों को काट दिया गया तथा सडको के बीच में कनेर तथा मदार के जंगली झाडों को देख कर सरकारी सोच पर शर्म आती है आज जी टी रोड पर यही नजारा है तथा NHAI हर १०० किमी पर विकास के नाम पर पैसे वसूल कर रही है क्या इन्हे पेडो के महत्व समझाने के लिए कोई दूसरा रास्ता अख्तियार करना होगा गर्मी के दिनों में जी टी रोड पर यात्रा करते हुए लोगों की आँखे कब खुलेंगी
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