जब पुरा विश्व मंदी के दौर से गुजर रहा है तथा शेयर बाजार की हालत पतली हो चली है | तभी हमारे आदरणीय वित्त मंत्री जी जो मुद्रास्फीति की बढ़ती रफ़्तार को वैश्विक बताते हैं किंतु वैश्विक मंदी से भारतीय बाजार को उतना खतरा नहीं मानते हैं |उनका कल एक बयां आया कि भारतीय अर्थव्यस्था बहुत मजबूत है तथा निवेशकों को घबराने कि जरूरत नहीं है इसका परिणाम यह निकला कि आज सेंसेक्स ८०० अंक लुढ़क कर १०८७५ पर पहुँच गया लगता है वित्त मंत्री जी को यह गुमान हो गया था कि उनके बयानों से मार्केट गिरता उठता है |
साधो शेयर कि गति न्यारी , यहाँ का हाल विचित्र है जब अमेरिका कि संसद ने बैंकों कि मदद करने वाला प्रस्ताव ठुकराया था और अनिश्चतता का वातावरण बना हुआ था तब हमारे यहाँ शेयर बढ़ रहे थे जब आर्थिक पैकेज कि घोषणा हुई तब मार्केट गिर गया | फ़िर फिटे मुंह ऐसे वैसे बयां क्यों देते हो , मुद्रा स्फीति को संभालो शेयर मार्केट के जुआरियों को झुलाने दो इनसे जनता का भला नहीं होने वाला , विश्वास न हो तो इंडिया शाइनिंग का हश्र याद कर लीजिये | अच्छा यही होगा कि महंगी हो रही कीमतों पर ध्यान देंवे वित्त मंत्री जी इस पर आपके बयानों का उल्टा असर होता रहा है तो शेयर पर कैसे सीधा हो जाएगा , फ़िर भी आप बहादुर हैं जो बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे हैं इतनी हिम्मत तो जार्ज बुश साहेब में भी नहीं है जो यह बयां देते हैं कि हाँ वितीय संकट है यदि आप होते तो कहते कि नहीं घबराने कि जरूरत नहीं है ये संकट चुटकियों में हल हो जायेगी क्यों कि सरकार इस पर नजर रखे हुए है , नजर न हो गई इश्क में डूबे हुए आशिक कि नीयत हो गई जिसे सब कुछ सुहाना लगता है अतः हे वित्त मंत्री जी बयां बंद कर कुछ काम करें यहाँ जो हो रहा है उस पर किसी का कोई वश नहीं है फ़िर आप कौन तुर्रम खान हो ....
3 टिप्पणियां:
अरुणजी ब्लागास्ते ,
आप कि टिप्पणी देखी, आपकी शिकायत थोडी सी ही सही है ,लेख वास्तव में मेरे द्वारा ही अधूरा छोडा गया है | लेख फलित से ज्यादा " जन्म लग्न से एक भावः एक आयु -वर्ष के मेरे सिद्धांत एवं मान्यता कि विवेचना है "||
चौथा भाव 'माता ' का होता है 52 वां वर्ष चतुर्थ भावः से प्रकट होता है 1999 में आयु का 52 वां वर्ष आरम्भ होने के दूसरे सप्ताह के शुरू में ही माता का देहान्त हो गया जिस के विषय में इसी पद्धति से एक वर्ष -सवा वर्ष पहले बता दिया था | नियमतः मै किसी कि मृत्यु जानने के बाद भी नही बताता ,केवल संकेत भर देता हूँ ;मैंने इस मामले में भी अपने रिश्ते -नाते दरों से दिसम्बर 1999 में आपसी संपर्क बनाये रखने मात्र को संकेत दिया था | 39 वें वर्ष में 1987 चैत्रीय नवरात्र की दूज को pitaa जी नही रहे ; 39 वां वर्ष लग्न से तीसरे भावः से प्रकट होता है जो पिता का मारक स्थान है ;यहाँ स्पष्ट करदूं कि मैं नवम् भाव को पिता का भावः मानता हूँ | उपरोक्त सिद्धांत कि उपयोगिता के समर्थन में यह बानगी मात्र है |परन्तु इसके उपभोग के लिए ज्योतिषीय सिद्धांतों का गंभीर एवं गहन अध्ययन व ज्ञान होना अति आवश्यक होता है |आप के प्रोफाईल से कोई संपर्क सूत्र ना मिलने के कारण आप के ब्लॉग पर सम्बंधित टिप्पणी दे रहा हूँ | काल चक्र पर आने केलिए धन्यवाद टिपण्णी के लिए आभारी हूँ |
रही चिदंबरम जी कि तो उनके बस का इस समय कुछ भी नही ;रही शेयर बाजार कि बात वहाँ निवेशक का लोभ उसे डुबोता है |अधिकाँश निवेशक सौदा करना तो जानते है परन्तु सौदा छुडाना नही जानते "वे अभिमन्यु कि तरह शेयर बाज़ार के चक्र व्यूह में किसी तरह घुस तो जा ते है , पर उससे निकल नही पाते क्यों कि उन्हें चक्र व्यूह तोड़ना आताही नही ||
शेष अगली मुलाकात के लिए
सभी का anyonaasti
भाई जी
मैं तो अन्येनास्ति जी से सहमत हूं
आप भी हो जाएं तो अच्छा हो
बात समझिये.. ,उनकी आर्थिक स्थिति तो ठीक है न बाकि देश जाए या रहे
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