शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2008

दो राज में फर्क क्यों

राहुल राज पर इल्जाम लगा कर मार दिया गया की वह राज ठाकरे को सबक सिखाने के लिए एक पिस्टल
ले कर जा रहा था बाम्बे पुलिस ने बड़ी ही बहादुरी से अंजाम घटने के पूर्व ही हमलावर को मुठभेड़ में मार गिराया |
लेकिन यही पुलिस जब राज ठाकरे को गिरफ्तार कर कोर्ट के सामने बहादुरी से पेश कराती है तो देश द्रोह जैसे अपराध को धारा १५१ आई पी सी में पेश कराती है ताकि नेता जी को आसानी से जमानत उसी दिन मिल जाए
जनता सब समझ रही है चाचा चोर के खिलाफ पाजी भतीजा को खड़ा करके चाचा को सबक सिखाने कि चालों को
चाचा को भी इन्ही नम्पुसकी हरकतों ने सिरफिरों का नेता बना डाला | भतीजों ने भी ऐसा कर दिखाया है राहुल राज को अनायास कत्ल कर राज को अनावश्यक महत्व दिलाया जा रहा है | इस कौम में इतना जल्दी उफान नहीं आता जैसा कि राहुल के मामले में बताया जा रहा है यदि न विश्वास हो तो याद करें जब बाबरी मस्जिद को बचानी के लिए गोलियां चली तो धार्मिक उन्माद के उन क्षणों में जब हिंदू खून को चाय के केतली में बार बार खौलाया जा रहा था तब एक पार्टी के नेता के बारें में अक्सर कहा जाता था कि सच्चा हिंदू इनको छोड़ेगा नहीं, हिन्दुओं के खून का बदला जरूर लेगा लेकिन कभी भी इन नेता जी पर किसी ने एक पत्थर भी नहीं फेंका , न कोई काला झंडा ही कहीं दिखाया गया होगा
हाँ नेता जी कि सियासत जरूर चमक गई एक दशक से वर्ग विशेष की हिमायत इन्हे हासिल है ऐसा माना जाता है कुछ इसी तरह कि सियासत खेली जा रही है महाराष्ट्र में इस राज नामक खाज के मामले में .............. खुदा बेडा गर्क करे इन नालायक सियासतदानों का

कोई टिप्पणी नहीं: